Thursday, September 15, 2016

मन की भी, सून लिया करो कभी


मन की भी, सून लिया करो कभी
   एक कहावत है-
              मन के हारे हार है।                                                      मन के जिते जीत है।


वास्तव में मन में किसी काम को करने की इच्छा हो तो वह काम भी अच्छा लगता है और जल्दी खत्म हो जाता है। लेकिन किसी काम को करने को मन नहीं हो तो वो काम अधूरा ही रह जाता है। कहते है मन का किया तो जग जीता, मन में भय मन का ही तो जीत न पाऐ कोई।
              जब भी आप कभी जीवन के ऐसे पढाव में हो जहा बदलाव चाहते हो तो मन की जरा सून लिया करें, देखे कितना अच्छा लगता है। कभी-भी मन के विपरित उबासेपन से कोई काम ना करें। क्योंकि मन ही नहीं मिला तो उस काम में कहां से सफलता मिलेंगा।
             मन भी एक घर के समान है। जब तक आप उसमें प्रेम, हर्ष, उत्साह औऱ निश्चितता को मेहमान बनाकर रखेगें तब तक आत्मिय शांति प्राप्त नही हो सकता है। मन के मंदीर में द्वेश, क्रोध, काम, लोभ और माया की परछाई भी न पडने दें। क्योकि ये मन को विनाश की ओर ले जाते है।
            जीवन के सूकून औऱ शांत वातावरण का एक ही तो सिपाही हैः-मन। विद्वान भी कहते है कि मन को जित लिया तो सब जित लिया।।
        चलिए मन की सूनते है और कहते है मन की भी सूनते है कभी”