सरदारः- ने दी इन्सानियत की सिख
अपने लिए तो हर कोई जीता है, लेकिन
दूसरों के लिए जिए,वास्तव में वही इन्सान कहलाता है। 31 अगस्त 2016 को दिल्ली
निवासी राहूल का शव जब किरमच- बेटडा हैड (चंडीगढ) से मिला तो उसे नहर से निकालने
के बाद मौके पर किसी भी व्यक्ति के पास शव को ढकने के लिए कपडा नहीं था।
ऐसे में दबखेडी निवासी गोताखोर परगट
सिंह ने अपने सिर पर बंधी पंगडी शव पर रख उसे ढक दिया। यह दृश्य देखकर भले ही मृतक
राहूल के परिजन कुछ क्षण के लिए अपने बेटे को भूल गए औऱ परगट सिंह में परमात्मा का
रुप देखने लगे। मौके पर आदर्श थाना प्रभारी ओमपाल ज्योतिसर ने परगट सिंह की
इंसानियत देख सैल्यूट किया। बुधवार को पुलिस ने राहूल के शव का पोस्टमार्टम करवाकर
कुरुक्षेत्र में दाह संस्कार कराया।
परिवार के आर्थिक स्थिति कमजोर
होने के कारण नायबतहसिलदार, थाना प्रभारी और समाजसेवीयो ने आर्थिक मद्द किया।
वाकई परगट सिंह जैसे लोग के कारण ही
इन्सानियत जिन्दा है। समाज को इससे सिखने की आवश्यकता है।
ये पोस्ट परगट सिंह के नाम