(अभिव्यक्ति)
ड्रिप सिंचाई बढ़ती फसलों के लिए सबसे कुशल जल और पोषक तत्व वितरण प्रणाली है। यह सही समय पर, सही मात्रा में, सही मात्रा में, सीधे पौधे की जड़ क्षेत्र में पानी और पोषक तत्व पहुँचाता है, इसलिए प्रत्येक पौधे को ठीक वही मिलता है जिसकी उसे आवश्यकता होती है, ताकि वह इष्टतम रूप से विकसित हो सके। ड्रिप सिंचाई के लिए धन्यवाद, किसान पानी के साथ-साथ उर्वरकों, ऊर्जा और यहां तक कि फसल सुरक्षा उत्पादों की बचत करते हुए उच्च उपज का उत्पादन कर सकते हैं।
पानी और पोषक तत्वों को 'ड्रिपरलाइन्स' कहे जाने वाले पाइपों में पूरे क्षेत्र में पहुँचाया जाता है, जिसमें 'ड्रिपर्स' के रूप में जानी जाने वाली छोटी इकाइयाँ होती हैं। प्रत्येक ड्रिपर पानी और उर्वरक युक्त बूंदों का उत्सर्जन करता है, जिसके परिणामस्वरूप पूरे क्षेत्र में प्रत्येक पौधे की जड़ क्षेत्र में पानी और पोषक तत्वों का एक समान उपयोग होता है।
आखिर क्यों आवश्यक है ड्रीप तकनीकी की खेती में, कारण है वर्ष 2050 तक, हमारे ग्रह पर 10 बिलियन लोग रह रहे होंगे, और पर्याप्त कैलोरी उगाने के लिए प्रति व्यक्ति 20 फीसदी कम कृषि योग्य भूमि होगी । पानी की बढ़ती कमी को शामिल करें, और यह स्पष्ट है कि हमें कृषि उत्पादकता और संसाधन दक्षता बढ़ाने के तरीके की आवश्यकता क्यों है। यही वह जगह है जहां ड्रिप सिंचाई फिट बैठती है, जिससे किसानों को प्रति हेक्टेयर और घन मीटर पानी में अधिक कैलोरी का उत्पादन करने की अनुमति देकर वैश्विक कृषि के अर्थशास्त्र को बदल दिया जाता है। खाद्य उत्पादन पर सूखे और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और उर्वरक निक्षालन के कारण भूजल और नदियों के प्रदूषण से बचाने के लिए ड्रीप तकनीकी आवश्यक है। ग्रामीण समुदायों का समर्थन, गरीबी कम करने और शहरों में बढ़ती पलायन करने वाली आबादी को कृषि के आधुनिक कृषि में जोड़ना है।
इजराइल की अत्याधुनिक सूक्ष्म सिंचाई योजना का उपयोग छत्तीसगढ़ के किसान भी कर रहे हैं। राज्य में ड्रिप, एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति लगातार लोकप्रिय हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस नई पद्वति को किसानों को अपनाने के लिए अनुदान भी दिया जा रहा है। इस नई तकनीक से उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत होती है। साथ ही भरपूर उत्पादन भी मिलता है। छत्तीसगढ़़ में किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजना को अपनाने के लिए भरपूर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग की इस योजना से राज्य में 95,159 किसानों को इसका लाभ दिया जा चुका है। योजना में लघु एवं सीमांत किसानों को 55 प्रतिशत तथा अन्य किसानों को 45 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। राज्य में उद्यानिकी फसलों के अंतर्गत लगभग 1 लाख 14 हजार से अधिक हेक्टेयर में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पद्धति के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है जो कि उद्यानिकी फसलों के कुल रकबा 8लाख हेक्टेयर का 13.73 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा संचालित सूक्ष्म सिंचाई योजना, उद्यानिकी की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत टपक सिंचाई (ड्रिप इर्रीगेशन) एवं फव्वारा (स्प्रिंकलर) से सिंचाई की जाती है। इस सिंचाई पद्धति से एक ओर जहां एक-एक बूंद पानी का उपयोग हो रहा है वहीं कम पानी में अधिक रकबे में सिंचाई की जा सकती है। किसानों को भरपूर लाभ भी हो रहा है। सूक्ष्म सिंचाई योजना से पौधों तक तुरन्त पानी पहुंचता है तथा रिसाव न होने के कारण खरपतवार भी कम निकलते है। इस पद्धति से फसलों के उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि होती है। सबसे खास बात इसकी यह है कि यह पद्धति ऊँची-नीची भूमि पर भी कारगर साबित होती है। ड्रिप के माध्यम से फसलों को उर्वरक कीटनाशक दवा बड़ी आसानी से दी जा सकती है। इस पद्धति से सिंचाई पर होने वाले श्रम की भी बचत होती है। यह पद्धति प्रीसिजन एग्रीकल्चर का सर्वाेच्च उदाहरण है। इसमें अधिकतम उपज के लिए सही समय पर सटीक और मात्रा में जल, उर्वरक, कीटनाशक आदि इनपुट का उपयोग किया जाता है। इससे फसलों का प्रबंधन में आसानी, श्रम की बचत होती है और उत्पादकता में वृद्धि होती है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़