Tuesday, February 28, 2023

सौर ऊर्जा के असीमित भंडार का कृषि कार्यों में उपयोगिता



                     (अभिव्यक्ति) 

सौर ऊर्जा, सूर्य से विकिरण जो गर्मी पैदा करने में सक्षम है। रासायनिक प्रतिक्रियाएँ पैदा करता है, या बिजली उत्पन्न करता है। पृथ्वी पर सौर ऊर्जा की घटना की कुल मात्रा दुनिया की वर्तमान और प्रत्याशित ऊर्जा आवश्यकताओं से बहुत अधिक है। यदि उपयुक्त रूप से उपयोग किया जाता है, तो यह अत्यधिक विसरित स्रोत भविष्य की सभी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता रखता है। 21 वीं सदी में सौर ऊर्जा के अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में तेजी से आकर्षक बनने की उम्मीद है क्योंकि इसकी अक्षय आपूर्ति और इसके गैर-प्रदूषणकारी चरित्र, परिमित जीवाश्म ईंधन कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के विपरीत हैं। 1881 में, अमेरिकी आविष्कारक चार्ल्स फ्रिट्स ने पहला वाणिज्यिक सौर पैनल बनाया, जिसे फ्रिट्स ने निरंतर, स्थिर और काफी बल के रूप में न केवल सूर्य के प्रकाश के संपर्क में बल्कि मंद, विसरित दिन के उजाले के रूप में बताया था। वर्तमान परिदृश्य की जो तस्वीर सौर ऊर्जा के उपयोगिता खासकर कृषि कार्यों को लेकर हमारे सामने दिखती है। उसका लम्बा इतिहास रहा है।
          कृषि और बागवानी पौधों की उत्पादकता को अनुकूलित करने के लिए सौर ऊर्जा पर कब्जा करने का अनुकूलन करना चाहते हैं। समयबद्ध रोपण चक्र, अनुकूलित पंक्ति अभिविन्यास, पंक्तियों के बीच कंपित ऊंचाई और पौधों की किस्मों के मिश्रण जैसी तकनीकों से फसल की पैदावार में सुधार हो सकता है। जबकि सूर्य के प्रकाश को आम तौर पर एक भरपूर संसाधन माना जाता है, अपवाद कृषि के लिए सौर ऊर्जा के महत्व को उजागर करते हैं। लिटिल आइस एज के छोटे बढ़ते मौसमों के दौरान, फ्रांसीसी और अंग्रेजी किसानों ने सौर ऊर्जा के संग्रह को अधिकतम करने के लिए फलों की दीवारों को नियोजित किया। इन दीवारों ने ऊष्मीय द्रव्यमान के रूप में कार्य किया और पौधों को गर्म रखकर पकने में तेजी लाई। प्रारंभिक फलों की दीवारों को जमीन के लंबवत और दक्षिण की ओर बनाया गया था, लेकिन समय के साथ, सूरज की रोशनी का बेहतर उपयोग करने के लिए ढलान वाली दीवारों का विकास किया गया। 1699 में, निकोलस फतियो डी डुइलियर ने एक ट्रैकिंग तंत्र का उपयोग करने का सुझाव भी दिया, जो सूर्य का अनुसरण करने के लिए धुरी बना सकता है। फसलों को उगाने के अलावा कृषि में सौर ऊर्जा के अनुप्रयोगों में पानी पंप करना, फसलों को सुखाना, चूजों को पालना और मुर्गे की खाद को सुखाना शामिल है। अभी हाल ही में इस तकनीक को सर्तकों द्वारा अपनाया गया है, जो सौर पैनलों द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग अंगूर की प्रेस को चलाने के लिए करते हैं। ग्रीनहाउस सौर प्रकाश को उष्मा में परिवर्तित करते हैं, साल भर उत्पादन और विशेष फसलों और अन्य पौधों के विकास (संलग्न वातावरण में) को सक्षम करते हैं जो स्वाभाविक रूप से स्थानीय जलवायु के अनुकूल नहीं होते हैं। आदिम ग्रीनहाउस का उपयोग पहली बार रोमन काल के दौरान रोमन सम्राट टिबेरियस के लिए साल भर खीरे का उत्पादन करने के लिए किया गया था। पहला आधुनिक ग्रीनहाउस 16वीं शताब्दी में यूरोप में विदेशी अन्वेषणों से लाए गए विदेशी पौधों को रखने के लिए बनाया गया था। ग्रीनहाउस आज बागवानी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं। पॉलीटनल और रो कवर में समान प्रभाव के लिए प्लास्टिक पारदर्शी सामग्री का भी उपयोग किया गया है।
            सौर ऊर्जा की असीमित भंडार को देखते हुए 01 नवम्बर 2016 सौर सुजला योजना की स्थापना की गई । इसका उद्देश्य कृषकों की सिंचाई आवश्यकता हेतु सौर सिंचाई पम्प स्थापित किया जाना है। कृषकों को रियायती दरों पर सिंचाई पम्प प्रदान कर कृषकों को सशक्त बनाने के उद्देश्यिका के साथ नींव रखी गई। सोलर पम्प के उपयोग से राज्य में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भू-जल के संरक्षण एवं संवर्धन तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायता मिलेगी। योजनांतर्गत 03 एच.पी. एवं 05 एच.पी. क्षमता के सोलर पम्प की स्थापना किये जाने का प्रावधान है।
            छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही सौर सुजला योजना से ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों के जीवन में बदलाव आ रहा है। पहुंच विहीन एवं अविद्युतीकृत क्षेत्रों में सौर सुजला योजना के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे किसानों के खेत लहराने लगे हैं तथा किसानों को सिंचाई के लिए परेशान नहीं होना पड़ता है।
           पूर्व में बिजली के अभाव में कई किसानों के द्वारा डीजल पंप का इस्तेमाल कर खेतों में सिंचाई किया जा रहा था, लेकिन डीजल के दाम बढ़ने के कारण  छोटे किसानों के पहुंच से बाहर हो गया, जिससे निराश होकर किसान धान का उत्पादन भगवान भरोसे कर रहे थे। अब सौर सुजला योजना से सिंचाई सुविधा मिलने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं, सोलर पंप लगने से बंजर खेतां में किसान मड़िया, सरसां, उड़द जैसी दलहन, तिलहन फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हुई है।
            

लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़