Tuesday, January 31, 2023

कर्ज के चक्रव्यूह में खुशियों की नींड तलाशते लोग


                 (अभिव्यक्ति) 


वर्तमान में इंस्टा लोन की चाशनी का लालच तीन में से एक सैलरिड या वेतनभोगी प्राणी को अवश्य होता है। कर्ज लेने की हिदायतों की कहानी तो बचपन के विद्यालयीन पाठ्यचर्चा से लेकर घर के बड़े बुजुर्गों के जबानी सीख में देखें हीं हैं। लेकिन दो मिनट की मैगी से लेकर छोटे-छोटे रिल्स में जीवन के अभिप्रेरणा का आनंद तलाश लेने वाली युवा पीढ़ी के पाले में सब्र नामक शालीनता कहाँ है? ये युवा पीढ़ी जिन्होंने ने न्यूटन के ग्रेविटी की भांति शॉर्टकट का फार्मुला खोज निकाला हैै। रोटी, कपड़ा और मकान की जरूरत तो नैतिक रूप से बड़ी जरूरतें मान सकते हैं। खासकर मकान के निर्माण या गाड़ियों के लिए लोन की अवधारणा को जायज मान भी लिया जा सकता है। लेकिन आज कल घर की छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी लोग क्रेडिट कार्ड या इंस्टा लोन के भरोसे लाखो की खरीदारी कर रहे हैं।
          बैंकिंग सेक्टर में लोन या ऋण दो कैटेगरी सिक्योर लोन और अनसिक्योर लोन के रूप में प्रचलित है। जिसमें सिक्योर या सुरक्षित ऋण एक ऐसा ऋण है जिसमें उधारकर्ता ऋण के लिए कुछ संपत्ति को संपार्श्विक के रूप में गिरवी रखता है, जो तब ऋण देने वाले लेनदार के लिए एक सुरक्षित ऋण बन जाता है। वहीं असुरक्षित लोन जिसमें या तो सैलरी या आधार कार्ड को बेस मानकर लोन दिया जाता है। दोनो ऋण पद्धति में ब्याज दर की तुलनात्मक अंतर देखें तो सुरक्षित ऋण 8 से 10 फीसदी और असुरक्षित ऋण 12 से 24 फीसदी की ब्याज दरें लागु होती है। तत्काल लोन एक असुरक्षित लोन है; जिसकी सुविधा कहीं ना कहीं झटपट की धानी, आधा तेल आधा पानी की लोकोक्ति को चरितार्थ करती है।वहीं क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरों की कीमत की तो बात ही छोड़िए यह तो 48फीसदी तक चार्ज करते हैं।
         लोन लेने की आदत को देखते हुए कबीर दास जी के जन मानस को सीख देते दोहे याद आते हैं कि, "माया मुई न मन मुआ, मरी मरी गया सरीर। आसा त्रिसना न मुई, यों कही गए कबीर।" तात्पर्य हैै कि  संसार में रहते हुए न माया मरती है न मन। शरीर न जाने कितनी बार मर चुका पर मनुष्य की आशा और तृष्णा कभी नहीं मरती। वर्तमान परिदृश्य में लोगों में अपने जीवन के स्तर को दूसरे के जीवन स्तर से बेहतर दिखने की तुलना की होड़ कर्ज की ओर ढ़केल रही है। आंकड़े बताते हैं कि बीते अक्टुबर 2022 में पर्सनल लोन लेने के ग्राफ में अक्टूबर 2021 की तुलना में 20 फीसदी का इज़ाफा हुआ है। इसी तरह इंस्टा क्रेडिट कार्ड लोन की परिपाटी में 28 फीसदी और कन्ज्यूमर ड्यूरेबल लोन में 57 फीसदी का उछाल आया है। यानी लोग अपनी रोजमर्रा के जरूरतें जैसे कपड़ा, पेट्रोल, ट्रेवल्स, मोबाइल, बिल्स या अन्य शॉपिंग के लिए तत्काल लोन या क्रेडिट कार्ज का उपयोग कर रहे हैं। जो किसी अघोषित वित्तीय खतरे से कम भी नहीं है। एक निजी संस्थान के सर्वे के अनुसार, भारत में 7 फीसदी की जनसंख्या क्रेडिट कार्ड उपयोग करती है। जिसमें से 63 प्रतिशत ऐसे लोग हैं। जिन्हें पता ही नहीं है कि क्रेडिट कार्ड केे उपयोग पर कितना ब्याज या अन्य कर लगाए जाते हैं। 65 प्रतिशत ऐसे भी क्रेडिट कार्ड उपभोक्ता हैं, जो अपने क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान तय समय से देरी में भरते है। बीते वर्ष आरबीआई ने निष्क्रिय लगभग 2लाख 90 हजार बैंकों द्वारा जारी क्रेडिट कार्ड निरस्त किये हैं।
        दूसरी ओर तत्काल लोन के मामले में डाटा सुरक्षा एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है। क्योंकि जब आप अपने बैंक या क्रेडिट यूनियन के माध्यम से ऋण प्राप्त करते हैं, तो ऋणदाता के पास गोपनीयता नियमों और नियमों की एक लंबी सूची होती है, जिनका आपकी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा के लिए पालन किया जाना चाहिए। जब लोग किसी ऑनलाइन ऋणदाता के माध्यम से ऋण प्राप्त करते हैं, तो इन नियमों की कोई जानकारी नहीं होती है। यह बहुत संभव है कि व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी से समझौता किया जाएगा, खासकर यदि ऋणदाता के बारे में अच्छी तरह से शोध नहीं करते हैं।
         बहरहाल, कर्ज के नींव तले चार दिन की चांदनी तलाशने वालों की लम्बी कतार है। लेकिन ग्राहक की जागरूकता भी आवश्यक है। जब आवश्यक हो तभी लोन लेना उचित होता है। लेकिन महंगे शौंक को पूरा करने के लिए लोन के चक्रव्यूह में फसना क्या उचित है? इस सवाल का जवाब प्रत्येक उधार लेने वाले ग्राहक को तलाशना आवश्यक है।


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़