(अभिव्यक्ति)
गणतंत्र, सरकार का रूप जिसमें एक राज्य नागरिक निकाय के प्रतिनिधियों द्वारा शासित होता है। आधुनिक गणराज्यों की स्थापना इस विचार पर की गई है कि संप्रभुता लोगों के साथ रहती है, हालांकि लोगों की श्रेणी से किसे शामिल किया गया और बाहर रखा गया, यह पूरे इतिहास में भिन्न है।
शासन व्यवस्था के दृष्टिकोण से आप कहेंगे, लोकतंत्र में भी सादृश्यता झलकती है। लेकिन लोकतंत्र और गणतंत्र में महिन अंतर है। लोकतंत्र और गणतंत्र के बीच मुख्य अंतर कानून द्वारा सरकार पर रखी गई सीमाओं में निहित है। जिसका अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए निहितार्थ है। सरकार के दोनों रूप एक प्रतिनिधित्व प्रणाली का उपयोग करते हैं- अर्थात, नागरिक अपने हितों का प्रतिनिधित्व करने और सरकार बनाने के लिए राजनेताओं को चुनने के लिए मतदान करते हैं। एक गणतंत्र में, एक संविधान या अधिकारों का चार्टर कुछ अविच्छेद्य अधिकारों की रक्षा करता है। जिन्हें सरकार द्वारा वापस नहीं लिया जा सकता है, भले ही वह अधिकांश मतदाताओं द्वारा चुने गए हों। एक शुद्ध लोकतंत्र में, बहुमत इस तरह से संयमित नहीं होता है और अल्पसंख्यक पर अपनी इच्छा थोप सकता है।
भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य सहित कई राष्ट्र-एक संविधान के साथ लोकतांत्रिक गणराज्य हैं, जिन्हें एक लोकप्रिय निर्वाचित सरकार द्वारा संशोधित किया जा सकता है। इसलिए यह तुलना आज अधिकांश देशों में शुद्ध लोकतंत्र के सैद्धांतिक निर्माण के साथ मुख्य रूप से एक गणतंत्र की विशेषताओं को उजागर करने के लिए सरकार के रूप के विपरीत है।
गणतंत्र और लोकतंत्र दोनों में जनता सर्वोपरि है, लेकिन चिंतन का सबब है एशिया महाद्वीप के सबसे बड़े लोकतांत्रिक गणराज्य भारत में गरीबी उन्मूलन एक बड़ी समस्या है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 में कहा गया है कि 15 वर्षों (2005/06 से 2019/21) में भारत में कम से कम 415 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले, जिसमें गरीबी की घटनाओं में 55.1प्रतिशत से 16.4 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई। विकास कार्यक्रम ने इसे जबरदस्त लाभ और एक ऐतिहासिक परिवर्तन होने का हवाला देते हुए रिपोर्ट में चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला क्योंकि भारत में 2020 में 228.9 मिलियन दुनिया भर में सबसे अधिक गरीब लोग हैं। ये ऐसे लोगों की संख्या है जो दैनिक जीवन के आम जरूरतों को पूरा कर पाने में आर्थिक दृष्टिकोण से सक्षम नहीं है।
वहीं ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स: 2022 के लिए ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स, जिसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा जारी किया गया था, ने भारत को 146 देशों में से 135वें स्थान पर रखा। 2021 में भारत 156 देशों में 140वें स्थान पर था। ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स "चार प्रमुख आयामों - आर्थिक भागीदारी और अवसर, शैक्षिक प्राप्ति, स्वास्थ्य और उत्तरजीविता, और राजनीतिक अधिकारिता में वर्तमान स्थिति और लिंग समानता के विकास को बेंचमार्क करता है।
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स: रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में भारत को 180 देशों में 150वें स्थान पर रखा। रिपोर्ट में भारत को मीडिया के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है और कहा गया है कि पत्रकारों को सभी प्रकार की शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिसमें पुलिस हिंसा, राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा घात लगाना और आपराधिक समूहों या भ्रष्ट स्थानीय अधिकारियों द्वारा घातक प्रतिशोध शामिल हैं।
वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स: भारत ने वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में खराब प्रदर्शन जारी रखा, पिछले साल के 139 की तुलना में इसकी स्थिति मामूली सुधार के साथ 136 हो गई। दक्षिण एशियाई देशों में, केवल तालिबान शासित अफगानिस्तान ने भारत की तुलना में खराब प्रदर्शन किया।
भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य में विभिन्न चुनौतियां हैं जिसे हम सभी को मिलकर पार पाना आवश्यक है। वर्तमान परिदृश्य में धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण एक बड़ा और गंभीर समस्या है। जिसमें एक दूसरे के धर्म के उपर छींटाकशी के माहौल में धार्मिक रार तेजी से बढ़ रहे हैं। बहरहाल, गणतंत्र के पावन पर्व पर संविधान के अनुरुप सभी को समानता के दृष्टिकोण से तौलते हुए। हमें यह भी समझना होगा की हम सब एक हैं। हम सभी मिलकर ही एक भारत श्रेष्ठ भारत हैं।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़