(अभिव्यक्ति)
भारत की भूमि जो ज्ञान और दर्शन की भूमि है। जहाँ भाषाओं के विविधता में एकता का राग वंदेमातरम है। जहाँ राम हृदय में , कृष्ण बालपन में , संतों की वाणी में गुरू वाणी, नव सृजन में कलाम, आध्यात्म में मीरा, दर्शन में शंकराचार्य और भाईचारे में मसीह की शिक्षा व्याप्त है। ऐसे पवित्र भूमि पर जो अनेकता में एकता का सूत्रधार है। जो शिक्षा और शांति का दूत है। उसी भूमि पर मानव तस्करी एक बड़ी गंभीर समस्या है। मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण और पुनर्वास) बिल, 2018 के अनुसार मानव तस्करी, 'बलपूर्वक तरीकों से, शोषण के लिए, किसी व्यक्ति की भर्ती, उसका परिवहन, उसे रखना, उसे ट्रांसफर करना, या उसकी प्राप्ति तस्करी है। इन तरीकों में धमकी देना, बल का प्रयोग करना,अपहरण करना, धोखाधड़ी और चालाकी करना, ताकत का दुरुपयोग करना या लालच देना शामिल हैं। उत्पीड़न में शारीरिक या यौन उत्पीड़न, दास बनाना, या जबरन शरीर के अंग निकालना शामिल हैं।'
खासकर ग्रामीण इलाकों से बच्चों के किडनैपिंग के बढ़ते मामलों में यदि लड़कों का अपहरण कर उन्हें या तो भिक्षुक बना दिया जाता है या फिर बंधक मजदूर बनाकर दासता कराई जाती है। नहीं यदि फिर भी बच्चे का विरोध नहीं रूकता तो उसके शरीर के अंग निकालकर प्रत्यारोपण जैसे जघन्य अपराध होते हैं। वही दूसरी ओर लड़कियों का अपहरण खासकर उन्हे वेश्यावृत्ति के धंधें में धकेलने के पर्याय होता है। भारत में प्रत्येक आठ मिनट में एक बच्चा अपहरण होता है। मानव तस्करी रोकने के प्रयास से जिले स्तर पर कई कार्रवाई, दस्ते एवं दल निर्मित हैं। लेकिन तस्करी निरंतर जारी है। वेश्यावृत्ति के मोल-भाव की ओर इंगित करता एक उदाहरण है की अर्जेण्टीना के मदिरालय में वहाँ चल रहे वेश्या-गृहों की महिलाओं के द्वारा पहने प्लास्टिक के कंगन उन पुरुषों की संख्या दर्शाते थे। जिनके साथ उन्हें यौन सम्बन्ध बनाने के लिये मजबूर होना पड़ा था। जितने कम कंगन, उतना ही अधिक मूल्य में घंटे के हिसाब से खरिद-फरोख होता है। वहीं कई जगहों पर बकायदा गैंग्स के माध्यम से ऐसे धंधे चलते हैं। जिनका एक प्रतीक चिन्ह, प्रॉपर प्लानिंग और पकड़े जाने की स्थिति में एक निर्धारित कहानी का अवधारणा निर्धारित रहती है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, '90 प्रतिशत महिलाओं और लड़कियों की तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है। मानव तस्करी के कई कारण हैं, जिनमें मु यत: गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा, सामाजिक असुरक्षा इत्यादि हैं। इसके अतिरिक्त चाइल्ड पोर्नोग्राफी, यौन शोषण व बंधुआ मजदूरी जैसे भी कई अन्य कारण हैं। इस धंधे में आमतौर पर स्थानीय एजैंट संलिप्त होते हैं, जो गरीब मां-बाप को बहला-फुसला कर व कई किस्म के प्रलोभन देकर लड़कियों व बच्चों को अपने चंगुल में फंसा लेते हैं तथा इस धंधे से मोटी कमाई करते हैं। ये लोग पुलिस व अन्य सरकारी संस्थानों के अधिकारियों के साथ भी अपना पूरा ताल-मेल रखते हैं।' भारत में सन् 1956 के वेश्यावृत्ति निरोधक अधिनियम कहता है कि,'जहां एक स्त्री केवल अपने स्थान में रहती हो तथा शरीर का सौदा करती हो वह वेश्या है।' लेकिन ऐसे कार्यों के लिए जबरन ढकेलने वाले लोगों के गिरोह का कृत्य वेशावृत्ति है।
अब एक प्रश्न फिर उठता है की मानव तस्करी क्या केवल यहीं तक सीमित है या इसका क्षेत्र विस्तृत है। वर्तमान समय में जिन इलाकों में सुखा पड़ता है। खासकर बारिश के अलावा कोई और फसल खेतों में नहीं उगाई जाती हो। उन गाँवों का एक बार सर्वेक्षण किया जाये। आप पायेंगे की बारिश के दिनों में अचानक उन गांव की गलियां गुलज़ार हो जाती हैं। और ठीक अक्टूबर-नवम्बर में फसल की कटाई के साथ गांवों सन्नाटा पसरने लगता है। इसका कारण क्या है? कभी विचार आपके मन में भी अवश्य आये होगें। मजदूरी और पैसों के लालच देकर लोगों को बंधुआ मजदूर बनाकर, राज्य के बाहर छः से आठ महिनों के लिए निर्वासित करा दिया जाता है। साधारण शब्दों में कहें तो पलायन के लिए मजबूर कर दिया जाता है। कभी कर्ज के नाम पर, कभी एडवांस देकर उनकी श्रम शक्ति को बेंच दिया जाता है। ठेकेदारी पध्दति में इन भोले-भाले लोगों की दुर्दशा का अंदाज़ा यहीं से लगा सकते हैं कि आठ घंटे के काम के वायदे को मटियामेट करते हुए बारह से सोलह घंटे जी तोड़ मेहनत कराया जाता है। लोगों के पलायन कराने वाले ठेकेदारों के ऊपर वहाँ प्रशासनिक लॉ एंड आर्डर संभालने वाले संस्थाओं के हाथ रहते हैं। जिन पर हाथ नहीं हो रहते उन पर कार्रवाईयों की स्थितियाँ तो देखे ही जा सकते हैं।
डिजिटल दौर में कुछ मानव तस्करों के गिरोह डिजिटल और प्रोफेशनल भी हो गए हैं। प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में रोजगार और अर्थ के प्रलोभन से वैश्विक रूप में भी मानव तस्करियाँ हो रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इनके खुलासे भी हुए है। लेकिन स्थितियाँ अभी-भी जस की तस नजर आ रही हैं। समय के साथ इंस्टेंट एक्शन रिएक्शन की आवश्यकता प्रशासनिक अमलों के काबिल कंधों पर है। मानव तस्करी रोकने के लिए चलाये जा रहे अभियान की सघनता और तेज हो।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़