(अभिव्यक्ति)
कुछ सत्य घटनाएं कहानियाँ या किवदंतियों के रूप में समाज में चलती रहती हैं। एक समय ऐसा भी आता है की इन कहानियों के प्रमाण की तलाश होने लगती है। यदि साक्ष्य मिले तो वास्तविक यदि ना मिले तो कपोल कल्पना का नाम दे दिया जाता है। शनैः-शनै: कहानियों के कहने के तरीके, समझने के स्थितियों से कभी पोषित कभी-क्षरण के धार पर चलती कहानियाँ विस्मृत कर दी जाती है। ऐसे में इन्हीं अतीत के वास्तविक स्वरूप को संग्रहण कर भावी पीढ़ी के लिए अतीत के साक्ष्य को जीवंत करने वाली संस्था है संग्रहालय।
संग्रहालय वह संस्थान है जो समाज की सेवा और विकास के लिए जन सामान्य के लिए खोला जाता है। इसमें मानव और पर्यावरण की विरासतों के संरक्षण के लिए उनका संग्रह, शोध, प्रचार या प्रदर्शन किया जाता है। जिसकी उपयोगिता शिक्षा, अध्ययन और मनोरंजन नव स्तरों के प्रति जिज्ञासु प्रवित्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहना है।
संग्रहालयों जो अतीत के साक्ष्य को संकलित कर रखते हैं। जिनके पृष्ठभूमि के आधार पर अलग-अलग उद्देश्य होते हैं। उनके संग्रह के संरक्षण और प्रलेखन से लेकर, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों की सेवा करने से लेकर आम जनता के लिए खानपान तक विभिन्न फलकों पर सेवा क्षेत्र होता है। शोधकर्ताओं की सेवा करने का लक्ष्य न केवल वैज्ञानिक है,अपितु आम जनता की सेवा करना है।
जैसे बौद्धिक, वैज्ञानिक, राजनीति, कला, नृविज्ञान, ललित कला, मूर्तिकला, चित्रकला, साहित्य सृजन, मूल रूप में पांडुलिपि, व्यक्ति विशेष के निजी जीवन के उपस्कर इत्यादि सहित कई प्रकार के संग्रहालय की स्थापना की संभावना है। संग्रहालय के इतिहास की अवधारणा की ओर विचार करें तो सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक एननिगाल्डी-नन्ना का संग्रहालय है। यह नव-बेबीलोनियन साम्राज्य के अंत में आधुनिक इराक में राजकुमारी एननिगाल्डी द्वारा निर्माण कराया गया था । इस संग्रहालय में 530 ईसा पूर्व, और पहले मेसोपोटामिया सभ्यताओं से प्राप्त कलाकृतियों को संग्रहित कर रखा गया है। खासतौर पर,एक मिट्टी के ड्रम का लेबल जो तीन भाषाओं में लिखा गया। इसी संग्रहालय के साइट सी में पाया गया, जो एक संग्रहालय वस्तु के इतिहास और खोज का संदर्भ देता है।
2007, 24 अगस्त को ऑस्ट्रिया के विएना में 22वीं महासभा द्वारा अपनाई गई आईसीओएम विधियों के द्वारा संग्रहालय को परिभाषित करने का प्रयास किया गया है जिसके अनुसार, 'संग्रहालय समाज और उसके विकास की सेवा में एक गैर-लाभकारी स्थायी संस्था है। जो जनता के लिए खुला है। जो शिक्षा के प्रयोजनों के लिए मानवता और उसके पर्यावरण की मूर्त और अमूर्त विरासत का अधिग्रहण, संरक्षण, शोध, संचार, अध्ययन, आस्वाद और प्रदर्शन करता है।'
सार में कहें तो संग्रहालयों की स्थापना, इतिहास में हुए महत्वपूर्ण बदलावों के दौर को वर्तमान में जीवित रखने का प्रयास है। जो उस समय के घटना, दौर या विचार को प्रतीकात्मक रूप में प्रदर्शित करने वाले मूर्त या अमूर्त साक्ष्य को संभाल कर रखना है। जिसकी उपयोगिता शोध से लेकर मनोरंजन तक विस्तृत है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़