Saturday, May 21, 2022

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रासंगिकता पर वर्तमान के स्वर : प्राज / Current voices on the relevance of Artificial Intelligence


                          (अभिव्यक्ति


कृत्रिम बुद्धि या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत यकायक नहीं हुई है। कृत्रिम बुद्धि से तात्पर्य है मानव और अन्य जन्तुओं द्वारा में प्रदर्शित प्राकृतिक बुद्धि के विपरीत मशीनों द्वारा प्रदर्शित बुद्धि है। जिसके लिए वह आंकड़ों का संग्रहण, संचालन, संयोजन और विश्लेषण कर बेहतर विकल्पों के आधार पर प्रदर्शन करें। कहानी कृत्रिमता की है जिसे मनुष्यों के जिज्ञासु प्रवृति ने इजात किया है।  
                   मैकेनिकल कैलकुलेटर का 17वी शताब्दी का दौर सन् यही कोई 1642 में विल्हेम शिकार्ड ने तैयार किया गया और नाम रखा ब्लेज पास्कल। अविष्कार का होना और अविष्कार के प्रणाली को जानने के लिए लोगों में होड़ तो मचती है। लाजमी हैं कि इस नवीन परिवर्तन जो मैकेनिकल रूप में पूर्ण यांत्रिक था, जो जोड़ने का कार्य करती। शोध आधारित परिवर्तनों के दौर ने हमें कैल्कुलेटर के कई बदलावों से रूबरू कराया। 19 वीं शताब्दी के आधुनिक क्रांति के बाद कई सारे बदलाव केलकुलेटर में किए गए थे वही अमेरिका के जेम्स एल डाल्टन जिन्होंने डाल्टन एडिंग मशीन का आविष्कार किया गया था और उन्होंने 1948 ईस्वी में कुर्टा कैल्कुलेटर बनाया। कीमत के मामले में तो बड़ा मसला था क्योंकि यह केलकुलेटर दाम में बहुत ही ज्यादा महंगा हुआ करता था। लेकिन इस कैलकुलेटर से बड़ी–बड़ी और कठिन संख्याओ की गणना आसानी से किया जाना संभव हुआ। पहले आधुनिक केल्कुलेटर के अविष्कारक  गोटफ्राइड वॉन लाइबनिट्स ने किया। यह केल्कुलेटर की मदद से अर्थमैटिक ऑपरेशन की संक्रियाओं के लिए बेहद सटीक था।
               इस अविष्कार ने मशीनी तकनीक को प्लांटेड बुद्धिमता तो दी।जिसके डिजिटल संस्करणों में कम्प्यूटर और सूपर कम्प्यूटर के अविष्कारों से प्रौद्योगिकी विज्ञान के क्षेत्र में विश्लेषण के लिए संसाधनोम बाढ़ जैसी स्थिति हो गई। वहीं सॉफ्टवेयर के पृथक-पृथक कार्यों के लिए एप्लिकेशन या कहें अनुप्रयोगों का अविष्कार कृत्रिम बुद्धिमत्ता की ओर बढ़ते मानवों के कदम को और सशक्त किया।
                 जॉन मैकार्थी वह वैज्ञानिक रहें हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर 1950 से ही शोध प्रारंभ किया, लेकिन महत्व 1950 के दौर में और नामकरण की समझ विकसित कर पाये। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में  वर्तमान अद्यतन में पूर्णता: प्रतिक्रियात्मक, सीमित स्मृति, मस्तिष्क सिद्धांत, आत्म चेतन की तकनीक विकसित की जा रही है। जिससे वह सटीक और तेजी से कार्य करने वाले कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करें। जिसें वह अपने बुद्धिमत्ता के प्रायोजन से लेकर, मनुष्यों के समान निर्बाधता से अपने व्यवहार कौशल को सीख सके। कृत्रिम बुद्धि के प्रासंगिक होने पर हमारी समझ और विकासशील होगी। हम जिन चीजों को वर्तमान में समझने में या फैसले लेने में अवरोध महसूस करते हैं। उन फैसलों पर विचार विमर्श एवं सटीक विश्लेषण के लिए मददगार के रूप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता अवश्य ही फायदेमंद साबित होगी।
            इसके साथ ही यदि नकारात्मकता पिरोने वालें विचारधाराओं के हाथ यदि यह तकनीक चाहे हैकिंग, अपडेट्स या फार्मुलेशन किसी भी तरह से हाथ लगती है। तो निश्चय ही भावी समय में विचारधाराओं के लड़ाई बड़े विनाश और नरसंहार को जन्म देगी। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़