Tuesday, May 31, 2022

ड्रोन प्रौद्योगिकी के वर्तमान परिदृश्य और भावी प्रासंगिकता /Current Scenario and Future Relevance of Drone Technology


  
                       (अभिव्यक्ति


ड्रोन शब्द का पर्याय बताने की आवश्यकता नहीं है, विकिपीडिया से लेकर सोशलमीडिया तक और अखबारों के पन्नों से यूट्यूब के चैनलों तक ड्रोन के विषय में विस्तृत सूचना आम लोगों तक व्याप्त है। रेडियो-नियंत्रित विमानों को आरपीवी या दूर से चलने वाले वाहन की संज्ञा दी गई। यह अतीत था, लेकिन ड्रोन के सैन्य रचनाकारों ने जल्द ही कुछ और अधिक पेशेवर के लिए संक्षिप्त नाम छोड़ दिया। तब ड्रोन के दो अर्थ थे। एक नर मधुमक्खी या नीरस निरंतर ध्वनि यानी ड्रोन शब्द को आम लोगों ने पर्याय समझ ही लिया। सामान्य लोगों तक ड्रोन की पहली झलक शादी के दौरान यादों को संजोते फोटोग्राफर के हाथों मे रिमोट के द्वारा उड़ते कैमरे को देखना पहले दौर में आश्चर्य था, लेकिन समय के साथ अब यह आम लगने लगा है।
                    इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान के संगम स्थली पर ड्रोन का अविष्कार हुआ है। लगभग दो दशकों में ड्रोन की संरचना में तेजी से अपग्रेडेशन हुआ है। ड्रोन निर्माण की प्रेरणा सन् 1915 में महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला के द्वारा एक मानव रहित लड़ाकू विमान के अविष्कार से हुआ। आधुनिक ड्रोन का आधार यहीं से माना जाता है। टेस्ला के इस मानव रहित विमान की अवधारणा पर आधारित समझ ने विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति वैज्ञानिकों का ध्यानाकर्षण किया। 1987 के प्रायोगिक दौर में ड्रोन का प्रयोग कृषि कार्यों में किया जाने लगा। सैन्य सेवा के साथ-साथ पुलिस,वन विभाग,मीडिया,समुद्र विज्ञान और फिल्म निर्माण आदि में भी ड्रोन का इस्तेमाल वर्तमान समय में होने लगा है। लेकिन आज भी जन मानस के लिए ड्रोन की उपलब्धता को सीमित रखा गया है।
              ड्रोन की उपयोगिता और उड्डयन संबंधित नियम और कानून भारत में तैयार किया गया है। ड्रोन नीति का मसौदा, 2021 के अनुसार, उपयोगकर्ताओं को अपने ड्रोन, पायलट और मालिकों का एक बार पंजीकरण करने की आवश्यकता है। सीमित स्थलों में उड्डयन की अनुमति सुनिश्चित है। जिसमें प्रतिबंध एवं संचालन की निर्धारित नीतियां हैं। वो कहते हैं ना बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है। ड्रोन का उपयोग वैसे तो व्यावसायिक तौर पर होने लगा है। जैसे डोर-टू-डोर डिलिवरी के विकल्प भी खुल रहे हैं। लेकिन बड़ा प्रश्न यह भी है की यदि ड्रोन का उपयोग अच्छे सृजनात्मक कार्यों के लिए हो रहा है, तब तक यह अच्छा है। लेकिन यदि यही तकनिक गलत हाथों की सालमंजिका बनी तो निश्चित है अपराध क्षेत्रों में विभीषिका निर्मित होने में देर कहाँ है? 
              बहरहाल, वर्तमान दौर में बढ़ते ड्रोन के डिमांड और उपयोगिता के आधार पर यह भी वास्तविक है की हम आगामी 2030 तक ड्रोन टेक्नोलॉजी में वैश्विक हब बनकर उभरेंगे। अनुसंधान, सृजन, लोकहितकारी कार्यों में ड्रोन का प्रयोग और उस पर होने वाले अद्यतन का दौर नवीन ज्ञान के मार्ग को गुलज़ार अवश्य ही करेगा। ड्रोन टेक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रासंगिक होने से शोधकर्ताओं को और भी लाभ मिलेंगे। समय के साथ अपग्रेड होती टैक्नोलॉजी के साथ यह भी संभव है। भावी समय में ड्रोन की प्रासंगिकता का दौर हैं जिसके हम साक्षी बनेंगे। 



लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़