Saturday, April 30, 2022

बहुतेरे विचारकों से नहीं अपितु स्व समीक्षा से धरातल है : प्राज / Not from many thinkers but from self review


                          (बुद्धिमत्ता


यह दौर चिंता का नहीं चिंतन का है। आपाधापी तो जीवन के अावश्यक अवयवों में से एक है। इसके साथ ही एक वृहद चुनौती की जन्म हुआ है। जिससे हमें दो चार होना पड़ रहा है। वर्तमान दौर में विभिन्न विचारों, विचारधाराओं के बीत संघर्ष है। कुछ शांति से जीवन को रंजित करना चाहते हैं। जो लोगों में निर्वाद, विमोह और स्थिरांक की ओर खिंचतान कर रहे हैं। जिनमें रक्षात्मक के अंकुरित स्वरों के साथ निर्विरोधिता का पर्याय पिरोने का प्रयास है। जैसे सभी जो हो रहा है, जो होगा वह अपरिभाषित शक्ति के कारण संभव है, जिसका परिणाम और अवयव चर भी वहीं है। जिनका परमार्थ परम शून्य है।
           वहीं कुछ ऐसे भी विचारधाराओं के विचारक, वितरक है जों रक्षात्मक या निर्बाधता से पृथक खलल की भूमिका को प्रमुख समझते हैं। जिनका उद्देश्य विरोध, तर्क, कुतर्क एवं विरोधाभास को प्रधान मानक मीन मेख निकालने का प्रयास करते रहते हैं। वहीं यह विचारधारा संघर्ष को जन्म देता है। यहां पर संघर्ष के जन्म में रक्षात्मक के बजाय आक्रामकता को प्रधान स्वर के अनुसरण करते हैं।
         इन बेतरतीब टकराव के बीच इन संघर्षों के लाभांश तलाश करते लोगों की कमी भी नहीं है। जो हल्की छीटाकाशी को बड़ी रार में तब्दील करने में कटु शब्दों के बाणों से वर्षा करते हैं। उद्देश्य केवल स्व मनोरथ को साध्य करना होता है। लेकिन प्रदर्शन ऐसे जैसे मानों बड़े पांडित्यपूर्ण तर्क रख रहे हों। 
       विभिन्न चकाचौंध कर देने वाले विचारधाराओं के बीच यदि आपको अपना सामर्थ्य, वास्तविक उद्देश्य की तलाश है, तो आपको बौद्धिक रूप से सुदृढ़ होना आवश्यक है। आपको तर्कों से पृथक साक्ष्य की तलाश अनुसंधान से करना होगा। यह प्रयास अवश्य ही आपको वास्तविक बोधिसत्व की ओर ले जायेगा। 


लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़