Sunday, November 25, 2018

हार्टलेश भाग-01(कौन हो तुम?) _ by Pukhraj Yadav "Pukkhu"



पता है,छोटे शहरों की बात ही और होती है। कुल मिलाकर 8-10 मोहल्ले होते हैं,और लोगों से मिलना जूलना ऐसे होता है कि मानो जैसे पूरा शहर घर के जैसे लगता है। ऐसा ही शहर है राजेश्वर  ज्यादा बड़ा नहीं है और ना ही शहर की कैटिगरी से बाहर रखा जा सकता है। मुख्य मार्ग जो नजिम की ओर जाती है उसी रास्ते पर पोलिस थाना पार करते ही एक छोटा सा मकान है, 43 New होम । मकान के पीछे तीन तरफ से खेतों ने पवेलियन जमा रखी है सामने आधुनिकता की बानगी देता भर्र-भर्र करती गाड़ियों के आवागमन के नज़ारों से भरा रोड़ था। वृन्दावन होम में किसी की आहट हुई। मेंनगेट,खूला...दरवाजे के खूलने की आवाज आई। फिर किसी ने घर के द्वार के बाजू में लगे डोर बेल पर किसी ने उँगली मारी, आवाज टींग-टाँग के साथ घर के अंदर से आवाज आई - "२ मिनट आती हूँ..."

       दरवाजा खुला, सामने डॉ. प्राज खड़े थे। उनको देखकर सोनू(प्रॉज की पत्नि) मुस्कुराई और बोली- "क्या बात है जनाब ! आप तो चेन्नाई जाने के लिए निकले थे ना, कैसे बीवी को बगैर जाने को मन नहीं हुआ??"

प्रॉज - "क्या करे सोनू, आपकी अदाएं ना दिल पे सुनामी की तरह आने लगी तो वापस आ गया,और सेमिनार तो बाद में देख लेंगे।"

सोनू- "पागल, ये कपड़े कैसे गंदे हो गए हैं?? अंदर चलो..."

प्रॉज- "हां जी... हां जी, आ रहा था तो चार्ट की दूकान में टमाटर की चटनी गिर गई।"

सोनू - " पूरे बच्चे हो आप ना, क्या मेरे हाँथों से बना खाना मजा नहीं आता है क्या जो बाहर की चार्ट पिज्जा खाते रहते हो??"

प्रॉज- "सूनना मैं दो मिनट में वाशरूम से आता हूँ कपड़े भी चेंज कर लेता हूँ।"

सोनू - "हाँ ठीक है जी"

प्रॉज- "बेबी वैसे ना, वॉशरूम का गेट खूला है, चाहो तो आ सकती हो...अंदर....थोड़ी बड़े बच्चों वाली सैतानी भी कर सकते हैं।"

प्रॉज को धक्का देती हूई वॉशरूम तक लेकर आई और बोली- "पागल, नो मोर शैतानी...चुपचाप फ्रेश हो जाओं...मै कुछ बनाती हूँ।वैसे भी शाम हो गई है।"

प्रॉज वाशरूम के अंदर चले गए, फ्रेश होकर गीले बाल को पोंछते हूए, कीचन की ओर जाने लगे। सोनू रोटी बनाने के लिए आँटा गुथ रही थीं, प्रॉज सोनू के पीछे से दोनो हाथ फैलाकर सोनू को पीछे से बाहों भरते हुए, उसके कान में बोले- "मेरी भी मद्द चाहिए क्या जी??"

"बिलकूल नहीं" (लजाते हुए, सोनू बोली)

प्रॉज दो-दो उँगलियों को सोनूं के दोनो बाहों में चलाते हुए, दोनो हाथ को पकड़ लेते है। और दोनो आंटा गुथने लगते...लेकिन सोनू की सांसे हल्की-हल्की गर्म होने लगी, होटो पे सर्द-गर्म सांसों में इस्स्स... के साथ आह... निकली... वो पलटी। दोनो हाथ की हथेली प्रॉज के सीने पर थी आंटे से सने हुए, हाथों की छाप प्रॉज के कपड़े पर पड़ गई। अब प्रॉज ने और जकड़न के साथ सोनु को बाहों में भर लिया, मौके की नजाकत् और होटो में आमंत्रण के देखकर प्रॉज थोड़ा नीचे झूकने लगे। होटों के पास होट पहुँच ही गए, लगभग सेंटीमिटर की दूरी ही थी की सोनू के मन में शरारत सुझीं और हाथ के जंजीर से आजाद कर मुस्कुराते लजाते वो कीचन से हसते हुएँ भागने लगी। और बोली- "पता है??"

प्रॉज - "क्या बताओ ना?"

सोनू - "कुछ नहीं"

प्रॉज - "पागल हमारी शादी को दो साल होने को हैं, पर तुम्हारा ना पता है वाला जो कॉन्सेप्ट है वो मेरी जान ले लेगा सच्ची।"

दोनो की आँखें इश्क में नशिली थी, जैसे नशा खूमार पर था। मगर कीचन के सारे काम के बारे में सोचकर... सोनू ने बहाना बनाकर काम करने लगी और प्रॉज को बोली -"बस आधे घंटे में कुछ गर्मागर्म लाती हूँ!"

प्रॉज मुस्कुराते हूए- "गरम ना हो,तो भी चलेगा बस मुड ऐसी ही ले आना, बांकि तो सबकुछ गरम हो जायेगा।"

इतना कहकर प्रॉज ने आंख मारते हूएं सोनू को कीचन में जाने की इजाजत दे दी। सोनू अब कीचन में काम कर रही थी, आंटा गुथने के बाद मैगी बनाने की योजना में प्याज काट रही थी कि....मोबाईल (जो साईलोंट थी) की ओर ध्यान गया। देखी की उसमें  परम के ३० फोन काल्स थे। और तभी एक और कॉल आया-~ सोनू ने कॉल लिया...!

_"हाँ पर देवर जी???सॉरी आपकी कॉल्स नही देख पाई थी"

_ "भाभी, आप टीवी देखी हैं" (आवाज में हड़बड़ाहट के साथ परम बोला)

_ "क्यों क्या हुआ? और आप ठीक तो हैं?कैसे हड़बड़ी में बात कर रहे हो?"

_ "भाभी आप रूकिये मैं घर लेने आता हूँ, और टीवी मत देखियेगा"

_ "क्या हुआ बताओगें??"

_ "भाभी.......भाभ्भभी कैसे बताऊँ,?"(परम के रोने की आवाज आई)

_ "बोलो परम घर में हो क्या,मम्मी जी कुछ बोली है क्या??तेरे भईया और मैं महासमुन्द आएं क्या?" (सोनू ने परम को समझाते हुए बोली)

_ "भाभी...भईय्या जिस प्लेन से चेन्नाई जा रहे थे, वो प्लेन क्रेश हो गया"(और जोर से परम रोने लगा)

_ "परम तेरे भईया तो घर पर हैं, तुम ही तो छोड़ने गए थे ना एयरपोर्ट, तो जब गए ही नहीं तो फिर क्याें??" ( शंकित भाव से सोनू बोली)

_ "भाभी मैने उनकी फ्लाईट के जाने तक एयरपोर्ट में ही था, तो वो कैसे हो सकते हैं।"

परम से बात करते-करते सोनू कीचन की खिड़की से घर के बाहर देखने लगी, की शायद कार होगी करके, लेकिन कोई कार नहीं थी। अब सोनू के मन में डर और शोक की लहर दौड़ पड़ी और जो आदमी बाहर बैठा था, वो कौन बहरूपिया है?? ये सवाल उसके मन पर तेजी से दौड़ने लगी। सवाल पे सवाल और परम की बातें सुनकर जैसे पूरा घर उसकी आंखों के सामने घूमने लगा, वो चक्कर खा कर वो जमीन पर निढ़ाल हो गई।
           हाल से दौड़ते हूए प्रॉज आए, उसने पानी के छीटें सोनू के चहरे पर मारें....,

_ "सोनू तू ठीक तो हैं ना"

इधर सोनू मोर्छा से बाहर आते ही फिर से वही प्रश्न दिमाग में आने लगे ये आदमी कौन हैं?? वो मन ही मन सोचने लगी, बिलकुल मेरे प्रॉज कि तरह  दिखते है? पर वो अगर प्लेन में थो तो ये बहरूपिया यहां क्यों आया है? ऐसे कई सवाल मन में चल रही थी।

_ "सोनू तू ठीक है ना"

_ " हाँ, ठीक हूँ जी" (मन में डर के भाव के साथ सोनू बोली)

_ "पागल फिर गिर कैसे गई, तू जान है मेरी तूझे कुछ हो गया तो मेरा क्या होगा??"(प्रॉज बोला)

_ "कुछ नहीं मै ठीक हूँ"

_" K से कमाल करती है पागल गिर गई और कहती है कुछ नहीं, लो पानी पीयो थोड़ी सी"

सोनू पानी पी और फिर सोचने लगी ये बहरूपिया बिलकुल मेरे प्रॉज के जैसे ही बात कर रहा है?? कि ये सही में प्रॉज है कि नहीं..? मन में सोचने लगी।

प्रॉज बोला- "पागल चल तू आराम कर जो बनाई है वही खाते हैं। मैें डॉयनिंग टेबल लगाता हूँ। "

_ दोनो खाने की टेबल पर बैठे थे प्रॉज अपने हाथों से सोनू को निवाला खिलाने लगा। वो डरी-डरी चुपचाप खाना खाने लगी...! उसने नोटिस किया की प्रॉज आज खाना क्यों नहीं खा रहे हैं। जबकी इनका फेवरेट तो मैगी है जिसके तरफ देख ही नहीं रहे हैं। पक्का ये कोई बहरूपिया है??? ये सोचने लगी और बोली- "आप क्यों नहीं खा रहे हो जी?"

प्रॉज बोला- "वो चार्ट की दुकान पर ज्यादा ही चार्ट खा गया था तो... भूख नहीं है, वैसे जानती है ना रात को २ बजे उठकर खाना खाता हूँ, तब खा लूँगा।"

सोनू फिर मन में सोचने लगी, बड़ा होमवर्क करके आया है ये बहरूपिया मेरे प्रॉज का हर रूटीन जानता है।

_ "सोनू चलो आपका खाना भी हो गया चलो ना बैडरूम में चलते है" (प्रॉज बोला)

सोनू ने हाँ में सिर हिलायी और दोनो उठे, बेडरूम के तरफ जाने लगे थे की सोनू ने बड़ी चतुराई से डायनिंग टेबल पे रखे सेब की टोकरी में रखे चाकू को पकड़ ली। और दोनो बेडरूम के अंदर दाखिल हो गए।

प्रॉज ने पूछा- "क्या हो गया सोनू, जब से कीचन में बेहोस हो गई थी तब से परेशान लग रहीं है।"

_ "कुछ नहीं बस थोड़ी थकान लग रहीं है।" (सोनू बोली)

सोनू फिर चुपचाप बैड पर कम्बल लेकर लेट गई। वहीं प्रॉज भी लेट गया और सोनू की तरफ हाथ बढ़ाया। सोनू ने आव देखा ना ताव चाकू से उस बहरूपियो के सीने पर जोर से वार किया। लेकिन चाकू से बहरूपिये प्रॉज के सीने पर कोई असर ही नहीं हुआ बल्कि ये सीने से आर-पार हो गया। जैसे पारगम्य हो...आरपार निकल गई। वो फिर तीन चार बार वार करी सारे हमले खाली गए। जितने बार वो हमला करी उतने बार चाकू पार निकल गई। वो डरकर बैड से झट से बाहर निकली और बोली- " कौन हो तुम???तुम मेरे प्रॉज नहीं हों????"


_"मै ही तो प्रॉज हूँ....!!"  ये कहते हुए प्रॉज बेड से बाहर निकला और चलते चलते दीवाल पर भी ऐसे चलने लगा जैसे मानें सामान्य रास्ता हों... वो चलते चलते सिंलिंग पे पंखे के पास वो बिलकुल उल्टा था सोनू के सामनें....!! सोनू डरी सहमी सब देख रही थी....!!


   फिर से पुछी- "कौन ह्ह्ह्हो तुम्म?" (इसबार वो डर में सहमी और लड़खड़ाते आवाज में बोली)

*शेष की कहानी आपको हार्टलेश पार्ट-2 (खुला रहस्य) में मिलेगा जल्द ही द्वितीय पार्ट जारी करता हूँ*
Story be Continiue....


                     लेखक
            पुखराज यादव "पुक्खू"
             9977330179
        pukkhu007@gmail.com