Wednesday, October 31, 2018

कल कौन आएगा_____by Pukhraj Yadav "Raj"



        *(सायली विधा)*

निहाई...
टूटती चली...!
भुरकुस कौन उठाएगा?
किसे पुकारें..,
आओं....!

कौन??
नरकंत बनकर,
धरा धर लेगा,
जाने कौन??
आयेगा..!!

सबको,
घरउ-घरउ,
सोंच ने घेरा,
कौन भावी,
कहलाऐगा...!

कौन??
विदूर होगा??
कौन धरासुर होगा..
कौन बाट,
दिखायेगा??

डफली,
थाप छोड़,
भावी द्वार दस्तक,
देती सूनों,
प्राथम्य..!

कौन??
प्रहार इषु,
अभिमन्यु सा झेलकर,
ताव देता,
मुस्कुराएगा..!

और,
चाह हो,
भीनी भक्षण को,
 पुक्खू.. तुझे..!
सून...!!

छोड़,
सारे मेहर,
अपने दरमियां अब,
तब जाकर,
हसाएगा..!

तभी,
विजयश्री को,
पथ पर समिप,
खूद को,
पाएगा..!

भभ्भड़,
मांगती सारथी,
सोंच क्या तू?
नायक बन,
पाएगा..!

सालमञ्जिका,
बनना सरल,
और भुवा सा...
पर पराधिन,
ठहरे।

क्या,
विपरित धारा,
चीरते बढ़ पाएगा,
असलेउ है..
पथ..!

बोल,
अग्निपथ पर,
मुस्कुराते मुस्कुराते तू,
आहिस्ते अग्रसर,
जाएगा...!

©पुखराज यादव "राज"
 pukkhu007@gmail.com
        9977330179