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(सायली- विधा में)
अलहदा,
जो मिज़ाज,
ठहरी अपनी तो,
पहूचें तुम्हारे,
पास...!
मुस्कुराकर,
कह बैठी,
बीमारी लगी खाश,
डरकर बोले,
क्या...???
क्या???,
है इसका,
बताईए तो ईलाज,
दवा इश्क,
और....।
इश्क,
वबा है,
करवा ले जल्द,
ईलाज आप,
आज...।।
©पुखराज यादव
(सायली- विधा में)
अलहदा,
जो मिज़ाज,
ठहरी अपनी तो,
पहूचें तुम्हारे,
पास...!
मुस्कुराकर,
कह बैठी,
बीमारी लगी खाश,
डरकर बोले,
क्या...???
क्या???,
है इसका,
बताईए तो ईलाज,
दवा इश्क,
और....।
इश्क,
वबा है,
करवा ले जल्द,
ईलाज आप,
आज...।।
©पुखराज यादव