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Wednesday, October 31, 2018

ख से ख़्याल तक- by Poet Pukhraj yadav "Raj"



.        *❤ख से ख़्याल तक*

चलो.. आज गुफ्तगू हो जाने दें ख्यालों में।
हो सकता है जवाब मिलने लगे सवालों में।

तेरे छत से मेरा आंगन माना नीचे है बड़ा,
फकिरी नहीं झलकती दीवा के ज्वालों में।

ठंड़ी रेत,गर्म मरूथल सब पे चला ठहरकर,
अनुभव किये,जीवन के भिन्न-भिन्न प्यालों में।

बीन तेल,सब्जी महकती है पकते-पकते,
हूनर चाहिए धूनकी लगाने का हर हालों में।

चलो आज गुफ्तगू हो जाने दें ख्यालों में।
हो सकता है जवाब मिलने लगे सवालों में।

         *©पुखराज यादव पुक्खू*
           pukkhu007@gmail.com