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Wednesday, October 31, 2018

नई दिशा _by Poet Pukhraj yadav "Raj"



इसने ना,उसने किया?
यार कितनी बहाने और।
तुमनें क्या किया कभी,
किया है क्या इस पे गौर।

तामझाम और अनैतिक,
सारी ख्वाहिशें हैं तेरी तो।
कभी अपने कर्तव्य पर,
कर्म का साधा कोई ठौर।

बेवजह ही जीयें जा रहे,
बस बहाने सीखलो प्यारे,
क्या मक्सद है नहीं कोई,
क्या नज़र ना आती भोर।

शनै:-शनै: दीवा ढ़लेगा,
चल लिख संदेश नव और।
नैतिकमूल्यों के चमक पे,
तू बनने को चल सिरमौर ।

  *पुखराज यादव "राज"*
      9977330179