Wednesday, October 31, 2018

हे हरि.. by Poet Pukhraj yadav "Raj"

_______///🙏🏻हे..!!हरि///______

हे प्रभू..! परनौत पड़ूँ,परखारूँ पग तेरो।
हृ हर ह्रास,हानि हरते हो हरि हर क्षण मेरो।

मै मानस मात्र, पर प्राण पावन हो आप मेरो।
फिर काहे गावली करते चंद चंदन ओंगे,तेरो।

मेरी नियति नाहिं लिखै हो आप जटाना घेरो।
लूल हुई है बुद्धि कुछ की, जो आडम्बर पेरो।

अरूणशिखा ना काटू, ना बहाऊँ लहू तनिक,
होते हो,जो आप प्रशन्न तो प्राण हर लो मेरो।

यज्ञ को यियक्षु मै भी हूं,अश्वमेघ को,ना घेरो।
मेरे हरि सब देख रहे है....आडम्बर ना फेरो।

लूमविष-सा डंक ना समाज पर... उड़ेलो।
परञ्च औषध बनो तुम,आंदू पुरानी तोड़ो।

और अरस ना होने दो,... सुनो तो तुम भी,
आओं जगत् में हरि प्रेम घोले,उर हरि डेरो।

इषण है री पुक्खू सुनी लीजौ चल भजन ई,
राम,कृष्ण और जन-जन प्रभू है साक्ष्य मेरो।

      © पुखराज यादव "राज"


          pukkhu007@gmail.com