. *🍁आज ना लिख पाऊंगा...*
शब्दों में लपेट मरहम,
आज ना लगा पाऊंगा।
ना तो कोई लतिफें भी,
यार...गढ़ ना पाऊंगा।
क्या कहे गम है कि,
या गमों के सागर पे हम,
मुस्कान झूठी और ना,
ना तारिफें झुठी जरा सी।
ना कोई तिखी तकरार,
ना नोक झोंक मीठी सी।
ना बर्फी,ना कोई असर्फी,
ना कोई अहसांस दे पाऊंगा।
देखा है जबसे मैने,
दर्द की झलक जब से।
बस बेबस सा बैठा मै,
ऐ..प्रेरणा आज नींद है फिर,
और वेदनाए चरम पर,
आज ना लिख पाऊंगा.....!!
आज ना लिख पाऊँगा.....!!
*🕴आपका- पुक्खू यादव*
9977330179
शब्दों में लपेट मरहम,
आज ना लगा पाऊंगा।
ना तो कोई लतिफें भी,
यार...गढ़ ना पाऊंगा।
क्या कहे गम है कि,
या गमों के सागर पे हम,
मुस्कान झूठी और ना,
ना तारिफें झुठी जरा सी।
ना कोई तिखी तकरार,
ना नोक झोंक मीठी सी।
ना बर्फी,ना कोई असर्फी,
ना कोई अहसांस दे पाऊंगा।
देखा है जबसे मैने,
दर्द की झलक जब से।
बस बेबस सा बैठा मै,
ऐ..प्रेरणा आज नींद है फिर,
और वेदनाए चरम पर,
आज ना लिख पाऊंगा.....!!
आज ना लिख पाऊँगा.....!!
*🕴आपका- पुक्खू यादव*
9977330179