. *🕴Reality in Bits....*
कुछ तो लिखना होगा,
और कुछ तो लिखा होगा?
चाहे जितना मगर उसने,
कुछ तो भाग दिया होगा?
यों सोचें की मंजिल को,
राही तक रहगुजर दिया होगा?
कल्प दिया ज्यों कल्पकार को,
कर्मा सा हस्त शिल्पकार को।
जों मेहनत दिया किसान को,
आश दिया हरेक इन्शान को।
पेशा दिया पेशेवर को,
हृदय दिया हृदय-वर को।
मोहन को मोह दिया,
वैसे भाग में कुछ तो दिया होगा??
किस चीज से डर,
कौन-सा यह है अपना घर..
सारे अतिथि ठहरे हैं पल भर,
पूरा नाट्यमंच तो है नाश्वर...
मैं भी अभिनेता,
और तू भी हैं अभिनेता..!
चल उठ मुस्कुरा,
छोड़ चिंताएँ सारी की सारी,
बेफिक्र,रहना ही जिंदगी,
बांकि पटकथा तो लिखा होगा..!!
कुछ नामूराद भी है,
पल-पल में जो बैठे रोते है।
विडम्बनाओं की आँच पर,
उचकते-उछलते फिरते है।
ज्यादा हुआ तो पीर,
रेत के किले सा ढ़हते है।
जाने इनके रगों में क्या??
पानी-पानी ही बहते हैं।
हो सकता है कि यों भी,
लिखा होगा भाग में...।
लिख-लिखकर ही मिलेगा,
तो भी ह्रास थोड़ी कुछ होगा??
जो है लिखा उस कलमकार ने,
पुक्कू तेरे भाग में वही लिखा होगा!!!
*©पुखराज यादव "पुक्खू"*
9977330179
pukkhu007@gmail.com
Mahasamund