(लघुकथा)
यकिनन इस प्राणीजगत् में मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो कई बार आपने अदम्य शौर्य का परिचय देता है। जैसे चांद पर कदम रखना,जैसे आसमान पर पंख पसारना। लेकिन कई बार अपने ही करनी का हरजाना भरना पड़ता है। जैसे प्रकृति की चेतना करने के बजाय वही मनुष्य ज्वालामुखी के मुख पर खड़ा होकर पुछता है- *"बता तेरा नाम क्या है?* *जल्दी बोल क्या नाम है????*
✍🏻पुखराज यादव पुक्कू
महासमुन्द