तुम सोचते,
मै मौन हूँ।
तुम भापते,
मै मौन हूँ।
लाख सवालात,
करते रहते मुझसे।
उदासीन मेरे जवाब,
क्योंकि मै मौन हूँ।
तुम परखते,
तुम जाँचते,
तुम सोचते,
तुम कहते।
पर मै मौन हूँ।
हाँ मै मौन हूँ।
क्या कहूँ?
कहने से क्या होगा?
मै जंगलवासी,
मै प्रकृति अभिलाषी।
मै आज भी वनवासी,
मुझे प्रेम है मौन रहना,
शायद इसलिए मौन हूँ।
हाँ, हाँ मौन हूँ।
मै मौन हूँ......।
तुम्हारे फैसले,
तुम्हारे वादे।
तुम्हारे ही आकार,
तुम ही करते प्रचार।
तुम वोट समझते,
बस मुझको...।
बांकि फिजूल फिर,
बन जाए जो सरकार।
मेरे घर से निकाल मुझी को,
मेरा हीत बताते तुम तो,
बड़े गजब मेरे यार।
कहूँगा तो लोभी कहोगे,
इसलिए मै मौन हूँ।
जो जीत गए तुम इक बार,
मुझी से पुछोगें की मै कौन हूँ।
इसलिए मै मौन हूँ।
हाँ मै मौन हूँ.......।
©पुखराज यादव