दिषा
1. तू दक्षिण की मै उत्तर का....
मिले हम ऐसे की दोनो मिले...
तूभी चल मै भी चलू...
संगम हो उत्तर दक्षिण का....
2. वो दिषा बदल रहा है...
मेरे सांसों से लड रहा है....
दिपक जलाई है वो इतेजार मे...
बूझाने के वो पैतरे बादल रहा है...
3. मै ना हिन्दू हू...
ना मै मूस्लीम हू....
दिषा जो भी हो चलू मै...
हवा हू इसलिये जिन्दगी हू...
4. तेरे रंग में सूरज रंग बदल रहा है....
आसमां को देख मौसम बदल रहा है....
तेरे नूर को देखने....
बेवक्त सूरज भी दिषा बदल रहा है...
5. दिषा बदलने लगा हू...
घर से तेरे घर को निकल रहा हू...
हाथ संग साथ चाहिए मुझे...
तेरे नूर देखने को चल रहा हू....
6. हवाओं ने मूख मोड लिया....
जहां पाव पडे उधर रूख मोड लिया...
वाह क्या तारिफ करू....
फिजाओं ने दिषा मेाड लिया...
7. चल दिषाओें से दूर चलें.....
सितारों से दूर चले....
मोहब्बत नही समझती ये दूनियां...
इस दूनिया से दूर चले....
8. एक खत लिख रहा हू...
मालूम नही रास्ता घर का...
खत दिषाओं के नाम लिख रहा हू...
पढ लेना खत मेरा...
खुसबू खत की फिजा में छोड रहा हू....
9. खत का सलाम भेजा है...
खत तेरे नाम भेजा है....
पढकर मुस्कूराना....
हसी का पैगाम भेजा हू...
10. मौसम बदल रहा है...
दिषाओं का मन बदल रहा है...
देखा जबसे तूम्हे...
सावन बदल रहा है.....