कलम की धार.........
चलती,चलती है कटार...
कलम की है धार।
सोसल, प्रिण्ट और डिजिटल,
इसकी दूनिया है अपार।
रंग-बिरंगें सब के रंगों,
का होता बंठाधार..,
जब चलती चलती है कटार,
कलम की है धार।
मोहमाया में हो,
या हो करता कोई भ्रश्टाचार,
करती सबको ऊजागर,
ये है कलम की धार....।
पानी न मांगें, अपराधी
न करे भ्रश्टाचार।
नेता-नेता की पोल खोलती,
चलती फिरती ये धार,
ये है कलम की धार।
कट रहे है धार भी,
हो रहे है व्यापार भी।
कोई स्कैम कोई मामला,
दब जाता है उस पार।
क्योंकि जूडे है उसके,
मीडिया से तार।
चलती, चलती कटार,
कलम की है धार।
मिलते है हक के वादे,
करता समाज में प्रसार,
ये है कलम की धार।
भाई न भाई देखे
सगे पराये का न होता व्यवहार,
ये है कलम की धार।
तुम भी सोसलिया,
मैभी सोसलिया।
करले चलो चढाई इस बार।
ये है कलम की धार।
अन्ना के संग-संग चले,
खत्म करने को भ्रश्टाचार।
ये है कलम की धार।
कोई पापी,कपटी न रोक पाऐ,
सुचना का यह संसार
मिलकर करे कलम को नमस्कार
चलती, चलती है कटार
ये है कलम की धार।।