- "मामा जी चलो आज बात अलंकार पर करते है"
- "हां भांजे...!! अलंकार पर क्या बात करना सिर्फ तीन ही तो प्रकार होते हैं।"
- "नहीं मामा प्रकार तो तीन ही होते है, लेकिन प्रकारों के प्रकार कितने होते हैं।"
- "चलो मामा जी आपको डिटेल्स में समझाता हूं"
- अलंकार या figures of speech यानी अभिव्यक्ति की शैली को कहते है। कैसे आप किसी वाक्य को कहते है और उसे सुनने से किस प्रकार की प्रतिक्रिया सामने खड़ा व्यक्ति प्रदान करता है। आचार्य भरतमुनि के नाट्यशास्त्र का सूत्र काल ५वीं-६वीं शताब्दी माना गया है। और भारतीय काव्य शास्त्र की परम्परा में इसका उद्गम काल नाट्य शास्त्र से भी ढाई हजार वर्ष पुरानी परंपरा में इसे ब्रह्म,नन्दिकेश्वर, तुण्ड, वासुकि आदि आचार्यों का उल्लेख विदित है। रस सिद्धांत, अलंकार, रिति वक्रोक्ति ध्वनि तथा औचित्य सिद्धांत भारतीय काव्य शास्त्र की महत्वपूर्ण देन है।
अलंकार ही काव्य की शोभा है,यानी कह सकते हैं कि हर प्रकार की काव्य रचना जैसे विरोध,प्रेम स्वीकार,तिरस्कार, सम्मान,गुणात्मक,ध्वनियात्मक सम्पूर्ण रचना अलंकारों से भरा होता है। क्योंकि वो भी तो Figures of speech हैं। तो इनके प्रकारों को कैसे डिफाइन करें।
जैसे कहा जाता है कि अलंकार के तीन प्रकार होते हैं-
१. शब्दालंकार
२. अर्थालंकार
३. उभयालंकार
लेकिन अलंकारों के प्रकार के प्रकार कितने हैं- आईये इसे देखते हैं-
१. शब्दालंकार
इसके प्रकार-
०१. अनुप्रास
०२. यमक
०३. श्लेष
०४. पुनरुक्तवदाभास
०५. वक्रोक्ति
०६. वीप्सा
०७. ध्वन्यार्थव्यंजना
०२.अर्थलांकार
इसके ६ भेद और उनके भेदों को देखते हैं-
०१. साम्यमूलक
इसके पांच भेद होते है-
1 तुलनापरक
(इसके प्रकार ६ होते हैं)
१.उपमा
२.अन्यन्वय
३.असम
४.व्यतिरेक
५.प्रतीप
६.दीपकादि
2 अभेदपरक
(इसके पांच प्रकार हैं-)
१.रूपक
२.रूपकातिशयोक्ति
३. अपह्नुति
४.भ्रम
५.उल्लेखादि
3 संभावनापरक
(इसके दो प्रकार होते हैं)
१. उत्प्रेक्षा
२. संदेह
4 तर्क या दृष्टांतपरक
(इसके ६प्रकार होते हैं)
१. दृष्टांत
२. उदाहरण
३. निदर्शना
४. वाक्यार्थोपमा
५. अर्थान्तरन्यास
६. काव्यालिंगादि
5 अन्योक्तिपरक
(इसके दो प्रकार हैं-)
१. अन्योक्ति
२. समासोक्ति
०२. विरोधमूलक
(इसके ५ प्रकार होते हैं)
१विरोधाभास
२विभावना
३विशेषोक्ति
४असंगति
५विषमादि
०३. अतिशयोक्तिपरक
(प्रकार संकलित नहीं)
०४. श्रृखलामूलक
(इसके तीन प्रकार हैं)
१. कारणमाला
२. एकावली
३. सारादि
०५. गुणमूलक
(इसके ६ प्रकार हैं)
१.तद्गुण
२. परिसंख्या
३. अनुज्ञा
४. तिरस्कार
५. विनोक्ति
६. परिकरादि
०६. व्यंग्यार्थमूलक
(इसके तीन प्रकार होते हैं)
१. पर्यायोक्ति
२. व्यंग्योक्ति
३. ब्याजस्तुति
०३. उभयालंकार
(इसके दो प्रकार होते हैं)
१. संकर
२.संपृष्टि
इस प्रकार अलंकारों का वर्गीकरण कहा जाता है।
आपका
पुखराज यादव
99777330179