ये ब्रम्हांड, ये आकाशगंगा सब कुछ प्रकृति की अमूल्य कृति है। मेरा नाम प्राज है,मेरा SP-43 होम्स, वृदावन है। मेरा घर ज्यादा बड़ा नहीं है पर मेहमान के आने पर छोटा नहीं पड़ता। मेरे हिसाब से मेरा घर दुनियाँ की सबसे बेस्ट जगह है। वैसे तो जहां लोग रहते है उसे अपना बेस्ट जगह मानते ही है। मैने ज्यादा काम तो नहीं करवाया है लेकिन हाल में प्राचीन लूक के लिए टेराकोटा का डीजाईन बनवाया हूँ। बेडरूम के अंदर का वातावरण प्रकृति झरने के समान लगे करके सिंलिंग के किनारे ग्लास कोटेड दीवार बने हैं, किंचन भी वैसे ही और फर्श पे पूरे गैलेक्सी के डिजाईन्स के मार्बल्स लगे हैं। खैर ज्यादा बोर नहीं करता...कहानी पर आता हूँ। कहानी आज से पहले यानी 2080 से 60वर्षों पूर्व 2019 की है। फरवरी ढ़लान पर था और शर्दियाँ दहलिज छोड़ चूकि थी,हल्का हल्का गर्मी का अहसास सुबह के गुनगुने धूप के साथ होने लगा था। उस समय मेरी उम्र यही कोई 25बरस की रही होगी। रोजाना रूटिन की तरह फरवरी 19 के २२वी तिथि रही होगी उस दिन मैं अपने घर के बाहर पौधों में पानी दे रहा था। कोई गीत था मै गुनगुना रहा था समय बीत गया है तो याद नहीं आ रहा है। खैर बातों बातों में तो एक मुख्य घटना बताना भूल गया, उसी समय आसमान में एक सौर रौशनी हूई। वैसे जैसे फिल्मों के क्लाईमैक्स या ट्रांसफार्मर के फटने से हुई। मैने मेरी बाजू वाली आंटी को आवाज लगाई कि -"आंटी जी कुछ हो रहा है बाहर निकलकर देखो आसमान में.."
अंदर से आवाज आई-" बेटा आज मै बेवकफ नहीं बनने वाली, तू हमेशा ऐसा करता है। आज तो बिलकुल नहीं।"
हां, थोड़ा मजाकिया मूड का हूँ तो लोग मुझे हमेशा मजाक में लेते है। पर अर्रे ये क्या हो रहा है। आसमान से कोई आफात आने वाली है, हे भगवान लग रहा है जैसे कोई बड़ा शीप हमारे गांव में गिरने वाला है। ओ....माई गाड मैं चिल्लाया पर कोई नहीं निकले वैसे भी मेरे गांव में २५ परिवार ही तो थे जिनके दो-दो बच्चे कुल मिलाकर १०१ लोगों का गांव था। अक्सर लोग काम से बाहर जाते थे तो गांव हमेशा सूना-सूना ही लगता है। मेरे भी ज्यादा दोस्त नहीं है। खैर आफात की बात इन सब के भूल रहा हूं। मै भागता हूआ अपने घर के अंदर गया,और दरवाजा जोर से बंद कर दिया। बाहर से जोर की आवाज आई किसी बड़े से चीज की गिरने की, मै समझ गया कि ये वही शिप होगा जिसे मैने लूड़कते हूए देखा था आकाश में। पर हिम्मत भी नहीं हो रही थी दरवाजे तक जाने की मै सहमे-सहमें दबे पाव से दरवाजे तक पहूचा और की..होल से बाहर के नजारे को देखने के लिए जैसे झूका किसी ने जोर से मेरे दरवाजे पर ठक-ठक-ठक की दस्तक दी। वैसे भी डरा था, खटखटाहट सूनकर और डर गया। धीमें आवाज में मै बोला-" जी श्रीमान कोन हो??"
_"तूम्हे जानते है दरवाजा खोलो???"(बाहर से आवाज आई)
मैने दरवाजा खोला सामने अजीब सा आदमी जिसके पैर नहीं थे सफेद रंग के जोगे में था वह बेहद लम्बा था, उसके साथ बड़े सिर वाला एक आदमी और एक सामान्य का कद वाला था, तीनो को मैनें नहीं पहचाना...!! अनमने मन से मैने पूछा- "क....क...कौन हो आप?"
_सामने से लम्बे आदमी ने कहा- "ये SP-43 House है ना"
_"जी जी ये मेरा पता है।"
_"फिर तो हम सही पते पर हैं।"
_"सही पते पर...क क कैसे सही पते पर मै नहीं समझा??कौन हो आप इंशान नहीं लग रहे हो??"
_"शांत हो जाओ शांत हो जाओ...!!"
_" हां हां मै शांत हूँ, बोलिये"
_"तुम शांत नहीं लग रहे हो"(बाजू में खड़े बड़े सिर वाले शक्स ने कहा)
ऐसे ही बात हो रही थी कि सामान्य कद के आदमी ने कहां "ऐसे ही बाहर में खड़े रखना बैड मैनर्स है पृथ्वीवासी" ये कहते हूए आगे बढ़े उसके हाथ में भाला था वो मेरे पेट से पार हो गया मै चिल्लाता लेकिन अहसास हुआ की वो भाला नहीं लाईट है,कुछ समझ पाता तब तक वो आदमी मेरे शरीर से पार हो गया... मै पलट कर देखा वो मेरे पीछे खड़ा था। मैने चकित भाव से पूछा -"भूत तो क्या...या शिप गिरा तो मै मर थोड़ी गया और आत्मा बनकर भटक रहा हूं।"
बड़े सिर वाले ने पीछे से धक्के देते हूए कहा- "प्राज तुम ठीक हो...कुछ नहीं हुआ है।"
मैने कहा -"हां हां.. मै ठीक हूं पर..... ए...एक मीनट किसी के घर अंदर घूसना वो भी जबरदस्ती ये गलत होता है। ये नैतिक मुल्य के खिलाफ है।"
_"अर्रे हटो भी और बकवास बंद करों...!!!"(ये बोलते हुए लम्बा शरीर वाला आदमी अंदर आ गया)
मैने फिर से रोकते हुए, उनके आगे जाकर कहा- "ये मेरा घर है, और आप बिन बुलाये मेरे घर में नहीं घूस सकते।"
_"देखो प्राज तुम खतरे. में हो, हमारी बात ध्यान से सूनो।"(बड़े सिर वाले आदमी ने कहा)
_"हां मुझे लग रहा है, मेरे घर तीन एलियन घूस आए हैं, वाकई में मै खतरे में हूं।" ऐसे बोलकर भागने की कोशिश में बड़े सिर वाले आदमी को धक्का देकर भागने की कोशिश में मै गिर गया। तीनो जोर से हसने लगे। मै फिर उठा और हाल दीवार पर टंगे हुए कुल्हाड़ी को. निकाल लिया और लम्बे आदमी पर वार किया, लेकिन कुल्हाड़ी टूट गया। फिर से तीनों हसने लगे। सामान्य कद के आदमी ने मेरे पैर पर चोट किया मै फिर गिर गया, वो फिर से तीनो हसने लगे।
लम्बे आदमी ने मेरा कॉलर पीछे से पकड़कर उठाया और हॉल की तरफ चलने लगा। मैं पैर छटपटा रहा था पर उसका कोई असर नहीं हुआ। सामने दीवाल पर एक बड़ी सी कील पर मुझे लटका दिया। एक ने मेरे पैर,कमर और हाथ पर टेप ऐसे चिपकाया की मैं दीवाल पर फिक्स हो गया था। फिर सबसे लम्बे आदमी सोफे को अपनी तरफ खिचा, मैने कहा _"श्रीमान वो कीमती सोफा है मेरा...संभालकर" जैसे ही वो लम्बा आदमी उसमें बैठा, सोफा टूट गया। फिर मै क्या कहता सब जोर जोर से हसने लगे। मैं बस मायुशी के सागर में था। फिर उस लम्बे से अादमी ने गंभीरतापूर्वक कहा-"सूनो प्राज... मेरा नाम निकोलस प्राईम है मैं बृहस्पति ग्रह का हूँ, ये जो भद्दे शक्ल का आदमी तुम्हे लग रहा है ये मार्शियन है, मंगल ग्रह से और ये पारगम्यता के गुणों वाला पॉलीवर है, बुध ग्रह से।......और...."
वो आईमिन निकोलस कुछ कहता उससे पहले मैं जोर से हसा,थोड़ी मेहनत की दीवाल से बाहर निकलने की पर कोशिश नाकाम रही... फिर बोला-"हां हां ये सपना हैं। चलो मै बहुंत डर गया हूँ, अब मै उठ जाता हूँ। लो मैनें आखें बंद करली, अब मैं उठ सकता हूँ। ये बूरा सपना है। बाय-बाय..."
मैने आँख बंद की फिर जोर से आंख खोला सामने वो तीनों मेरा मुह देख रहे थे। फिर मैं आंख बंद किया फिर खोला वही लोग सामने थे। मै समझ तो गया था लेकिन सपना हो सोंचकर डर कम कर रहा था। फिर जोर से चिल्लाया....."बचाओं... बचाओ...."
की तभी मार्शियन ने मेरे सिर पर किसी चीज से हमला किया...!!! मै बेहोस हो गया।
.......आधे घंटे बाद......
मुझे होंश आया, मेरे सामने एक और नया चेहरा, उसके जस्ट पीछे तीनों निकोलस, मार्शियन और पॉलीवर मेरे डाईनिंग टेबल पर बैठकर भूनी हूई मच्छली और चिकन खा रहे थे। साथ में संभालकर रखी बियर के बोतलों को पी रहे थे। मैने चिल्लाकर कहा- "ये मेरा घर है, तुम सब निकल जाओं अनजान मेहमानों, तुम लोग चले जाओ???..."
_" ये क्या कह रहा है?? ये हमें नहीं पहचानता निकोलस हम सही घर पर हैं की नहीं।"(चौथा अनजान शक्स बोला)
_"हम सहीं जगह पर हैं गिवर"(निकोलस बोला)
_" सूनो प्राज, हम एक खाश मक्सद से आए हैं तुम्हारे पास तुम्हे पता है हम क्यों आए हैं तुम जानते हो सब।"
_" हा हा हा.... किस ड्रामा कम्पनी से भागे हो बे..."(प्राज बोला)
(किसी ने कोई जवाब नहीं दिया)
_ "पागल खाने से...."(प्राज फिर बोला)
_"ओके ओके नाटक खत्म करो.... कोई बृहस्पति, बुध मंगल जाने क्या क्या लपेट रहे हो...खत्म करो ये फन्नी शो बनाना डायरेक्टर बस करो।"(प्राज बोला)
फिर से किसी ने प्राज के सिर पर किसी चीज से वार किया फिर वो बेहोस हो गया।
_________आधे घंटे बाद_________
प्राज को फिर होश में आया सामने उसके बाजू वाली आंटी,सामने वाले घर के अार्मी वाले अंकल और पास पड़ोस के लोग थे। प्राज उनको देख कर बोला- "हे...हे..हे... सूटिंग खत्म हो गया...!!!"
तभी लोगों के भीड़ से निकोलस बाहर आया...
प्राज बोला- "तू फिर आ गया बे।"
निकोलस - "प्राज तुम पहले अर्थियन हो?? तुम अर्थियन या पहले पृथ्वी वासी को वंश के हो। तुम्हारे पास कुछ है जो तुम्हे तुम्हारे पिता ने दी होगी।"
_"पहली बात मेरे पिता जी के बारे में नहीं जानता और दूसरी ऐसी कोई चीज ही नहीं है। और मेरे गांववालों को भी बंदी बना लिये"(प्राज बोला)
-तभी निकोलस ने कुछ मंत्र पढ़े, प्राज के सारे पड़ोसियों के शरीर बदलने लगे। सारे के सारे एलियन्स थे। निकोलस बोला- "प्राज तुम नहीं जानते पर जो तुम्हारे जो पड़ोसी है सारे तुम्हारे ही बॉडीगार्ड हैं...तुम ही इन्शान हो एक मात्र बांकि सारे एलियन्स है।"
प्राज आश्चर्य चकित होकर सिर्फ हां में जवाब दिया....!!!
तभी गिवर चिल्लाते हुए बोला- "निकोलस चलो निकलते हैं हम पर हमला हुआ है ५५सेकेन्ड में ये जगह निस्तोनाबूत होने वाला है।प्राज को ले चलो।"
_ "और उस चीज....के बीना"(निकोलस)
_"प्राज जरूरी है ना की वह चीज....चलो ले चलों..."(गिवर बोला)
निकोलस प्राज को लेकर तेजी से घर से बाहर निकला, उसके पीछे-पीछे गिवर, मार्शियन और पॉलीवर बाहर आए, सभी स्पेस शिप पर सवार हुए की तभी कोई बड़ी सी गोल चीज प्राज के घर पर गीरी.....जोर का धमाका हुआ। आग का गुबार फैला हो वैसे लाल गुब्बारा के समान दृश्य दिखा।
शेष कहानी अगले भाग में....
लेखक
पुखराज यादव
महासमुन्द
9977330179