पढ़ता है मगर, भूल जाता है।
आजकल वो स्कूल जाता है।
शायद अफवाहों में उलझा है,
नसिहतें रंगकर धुल जाता है।
किसी को कुछ या कुछ भी हो,
वो तोड़ सारे उसूल जाता है।
इश्क चाहे जिस रूप में हो जी,
लोगों के आँखों में खूल जाता है।
मेरे बेटे संभलकर पांव रखना,
ये दूनिया हैं छौंक धूल जाता है।
✍पुखराज "प्राज"