एक लड़की के सिर पर पिस्टल ताने प्रॉज, अपने बाईक पे तसरिफ टिकाए खड़ा था, वो लड़की कोई और नहीं उसकी ही गर्लफ्रेंड सोनू थी।
प्रॉज बोला- "एक बात बता तू सच में चाहती है मुझे कि यहीं ठोक दूँ।"(लहजे में गुस्से के मिश्रण के साथ)
सोनू मुस्कुराई और हसते हुए बोली-"पता है ना,तूझे फिर काहे पूछता है,प्यार है कि नहीं...!"(जैसे कोर्ट दलिल दे रही वैसी आवाज में बोली)
प्रॉज ने फिर कहा- "मेरा ना माथा गर्म हो जावे है, तू कभी फोन उठाती है,कभी कहती है इससे बात हो रही है, उससे बात हो रही है...?? के चाहती है री छोरी साफ कर...मै आशिकी में बावरा होणा बिलकुल नहीं चाहता समझी।"
सोनू मुस्कुराते हूए बोली- "बावरा, पागल तू है ही। मै जानती हूँ...पागल मेरी स्टेटस की सुसाईट वाली लाईन सुनकर तू छत पे चढ़ गया था, याद है ये पागलपन नही तो और क्या बोलुंगी मै??बोल छोरे.."
प्रॉज- "सून वो तो बस नादानी थी...!!"
सोनू- "और जो तू भागते हुए आया था जब कालेज से निकले थे घर जा रहा हूँ करके फिर आधे रास्ते से बाहर आया था वो क्या मेरे मौसा जी थी।"
प्रॉज- "तू मुझे ना वेला मत बना समझी...बताएगी क्या करना है आगे...!!"
सोनू- "पागल पिस्टल तेरे हाथ में है तू चाहे तो चला दे।"
प्रॉज- "मार दूँगा सही में"
सोनू- "चला ना...तु ही तो जिन्दगी है मेरी...तू ही लेले जिन्दगी मेरी"
प्रॉज मुस्कुराते हुए...पिस्टल उसके सिर से हटाकर सोनू को अपने आगोश में भर लिया और कहा- "तेरी यही बातें मुझे दीवाना बना देती है।"
सोनू अब भड़कते हूए बोली- "छोड़ मुझे...बड़ा आया प्यार करने वाला, वो भी पिस्टल तान के लब यू बुलवाता है।"
प्रॉज-"प्यार तो घणी करता हूँ तेरे से पागल"
_"हां हां तभी तो बंदूक ताना था ना मुझपे" (सोनू बोली)
प्रॉज हसते हुए बोला- "पागल ये तो बच्चों की खेलने वाली बंदूक है री...इससे ही डर गई।हॉ...हा...हॉ...."
सोनू- "दोबारा ऐसे किया ना तो गोली से मार दुंगी"
प्रॉज - "ले फिर चालू हो गई तू तो बड़ी ज्ञान दे रही थी होसियार"
दोनो मुस्कुराते हुए,इक दुजे को बाहों में भरकर खड़े थे। ये सड़क शहर के अंदर प्रवेश होने का मार्ग था जहां पर दोनो रूके हुए थे। रविवार होने के कारण रास्ते पे चहल-पहल कम थी।
प्रॉज- "सोनू चल तुझे घर छोड़ देता हूँ।"
सोनू- "मै नहीं जाऊँगी...!"
प्रॉज -"काहे बेबी"
सोनू -"बस हमारे घर जाना है।"
प्रॉज - "तो चल ना किसने रोका है।"
सोनू- "एक बात पूछूगीं तो बूरा मत मानना"
प्रॉज- "हां बोलो ना बेबी"
सोनू- "हम सच्ची में शादी करेंगे ना"
प्रॉज- "तू बोलेगी तो अभी ले जाऊँगा.."
"मुझे ऐवी शादी करनी समझे, तू तूझे घर आके बात करनी होगी समझा।"
- "हाँ हाँ मेरी महारानी जैसे तू बोलेगी वैसा ही करूँगा। चल अब शाम होने को है घर छोड़ देता हूँ" _प्रॉज बोला
दोनो बाईक पर घर की ओर जाने लगे। शाम के यही कोई 5-6बजे का वक्त होगा, आकाश में पंक्षी भी अपने अपने घर को लौट रहे थे। शहर बड़ा था तो जैसे ही दोनो शहर के करीब पहूचे, सबसे पहले स्वागत् करकस ध्वनियों और गाड़ियों की आवाजाही से हुआ। सोनू प्रॉज को पीछे बाहों भरे बैठी थी। कुछ-कुछ बाते होती रही। आधे घंटे के सफर के बाद दोनो सोनू के घर के पास पहुचे। प्रॉज सोनू को घर छोड़कर अपने घर की ओर लौटने लगा। प्रॉज के मन में सोनू के घर में बीते सप्ताह शादी और प्रेम प्रसंग को लेकर हुए विवाद की चिंता थी। तभी मोड़ के पास दो सौ मीटर की दूरी तय हुई थी की, सोनू के घर के तरफ से कोई तेज आवाज आई। शायद माहौल पूराने विवाद को लेकर गर्म था। सोनू के परिवार के लोग उसे धमकी दे रहे थे,कि कौन लड़का है जिसके साथ घर आई करके।
प्रॉज ,सोनू के घर वालों के सामने खड़ा हूआ। थोड़ी बहस और चरम पर पहूच गया। मौके के नजाकत को भांपते हूँ, प्रॉज ने सोनू को साथ चलने का इशारा किया।
दोनो इश्क में गिरफ्तार परिंदे आजाद होने को दौड़ पड़े, पीछे-पीछे रोकने को कुछ लोग आये लेकिन कहते हैं ना, प्यार में पागल परिंदों को कौन रोक पाये है। सोनू के घर का महौल बड़ा ही गर्म हो चला था। तलासगी को आमादा सारे लोग इधर-उधर जा रहे थे।
प्रॉज और सोनू ने बड़ा कदम तो उठा लिया था लेकिन परीणाम का किसे परवाह था। दोनो तेजी से उस भव्य शहर से निकल पड़े, प्रॉज ने घर जाना उचित ना समझा लेकिन रात चढ़ रही थी जाते तो जाते कहां...?? प्रॉज ने दो -चार दोस्तों को कॉल किया, लेकिन किसी ने हालात, तो किसी ने फैमली वेल्यू, तो किसी ने दूरी का बहाना करके कन्नी काटना ही उचित समझा। बहरहाल एक था दोस्त जिसने बढ़कर मद्द की... सोनू और प्रॉज जैसे ही प्रॉज के शहर पहूचे, अपने दोस्त परम से मिले।
प्रॉज - "यार परम क्या करें??"
परम - "कोई नहीं सब संभाल लेंगे।"
प्रॉज -"यार घर जाऊँ के नहीं।"
परम - "टेंशन ना....ले मैनें तेरे बड़े भईया से बात कर ली है।"
प्रॉज -"भाई क्या बोले??"
परम -" बोल रहे थे व्यवस्था करके आते हैं,करके बोले हैं।"
प्रॉज -"और घर???"
परम- "भईया मना किये हैं, घर जाने से चलो सिटी से बाहर जो पार्क है वहीं बुलाये हैं। तुम दोनो को...!"
सोनू चूपचाप परम और प्रॉज की बातें सून रही थी, फिर तीनो उस चौंक से निकलकर पार्क की ओर निकल पड़े। एक बाईक पर सोनू और प्रॉज थो दूसरे में परम था। १० मीनट के सफर के साथ तीनो पार्क के पास पहूचें।
कुछ ही देर में एक सफेद कलर की कार रोड़ को पार करते हूए, पार्क के मेन गेट के पास रूकी। काले जूते पहने किसी शक्स के पांव बाहर आये। फिर वो बंदा बाहर निकला, लगभग ६ फिट के हाईट के इस बंदे का नाम वीर था यह प्रॉज का बड़ा भाई था। वीर को आते देख प्रॉज जैसे सुकुन और चैन की सांस ली। डूबते लोगों को जैसे किसी तिनके का सहारा मिलता है वैसे ही एहसास प्रॉज को हो रहा था। वह दौड़ता हूअा वीर के पास जाकर गले से लग गया। वहीं वीर ने भी प्रॉज को गले लगा लियाँ...! प्रॉज ने कहा- "भाई आ गया है अब सब ओके होगा।"
वीर ने प्रॉज के कान में सॉरी कहा और अपने पेंट के पीछे रखे रिवाल्वर से प्रॉज के पेट पर दो गोलियाँ चला दी। रिवाल्वर में साईलेंशर लगा था तो आवाज बिलकुन भी ना हूआ। शायद उस वक्त प्रॉज अति उत्साह में था की भाई आया है मद्द के लिए, यही सोचकर...उसे गोली की चिरन शरीर पर महसुस ना हूई... वो पलटा और बोला- "सोनू...ये तेरे बड़े भाईया है वो क्या कहते है तेरे जेठ जी.....आह्ह्ह....." अब अहसास हुआ ही था दर्द की तभी वीर ने प्रॉज के पीठ के पर लगातार 3-4 राऊंड और फायरिंग कर दी।
वो निढ़ाल होकर जमीन पे गिरता उससे पहले कहा-" भाई पापा जी को मत बताना...."
वीर बोला- "पापा ने ही गन दी थी, वो कार में बैठे हैं।सम्मान से बड़कर कुछ भी नहीं....तू भी नहीं प्रॉज....मेरे भाई.....!!!"
प्रॉज को अहसास हो चला था की ईहलिला समाप्त हो चली है। परम और सोनू दौड़कर प्रॉज के पास पहुचे। सोनू चिल्लाती...चिखती रही....!!! प्रॉज ने सोनू को बाहों में भरने का इशारा किया...मुस्कुराते हूए सोनू के बाहों में और दोस्त के हाथों में हाथ डाले दम तोड़ दिया।
_____________समाप्त____________
ऐसे ही सम्मान के लिए दो दिलों को लोग तोड़ देते हैं। २१वीं सदी और मानवीय अधिकारों के संरक्षण में जागरूक संस्थाओं के होते हूए भी, समाज और उसके चंद ठेकेदार जातियता को श्रेष्ठ समझते हैं। क्या प्यार करना गुनाह है? बचपन से हमे सिखाया जाता है प्यार दो प्यार लो.... प्रकृति से प्रेम करो, परिवार से, दोस्तों से, अच्छाई से, सत्यता से, अपनों से सबसे प्रेम करो,लेकिन क्या किसी अंतर्जातिय या अतंर्धामिक युवती से प्रेम विवाह क्या गलत है??
लोग ऐसे बर्ताव करते है जैसे दो मासुम परिंदो नें प्रेम नहीं कोई अपराध कर दिया हो। जाने वह परिपक्वता कब आएगा की पिता/पालक अपने बच्चों से उनकी भावनाओं और विचारों का आदान प्रदान हो पायेगा। ऐसे महौल में वैवाहिक सलाह और सौहाद्रता को मिलेगी। जाने कब हॉनर के नाम पर किलिंग्स रूकेगा। पता नहीं जब तक हॉनर किंलिंग थमेगा, तब तक कितने प्रॉज-सोनू तारे बना दिये जायेंगे। आईये कुछ बदलाव करते है..... Stop- Honner Killings
✍पुखराज Y
Pukkhu007@gmail.com