Wednesday, November 28, 2018

हार्टलेश भाग 03- (शांति की खोज)- Witten by Pukhraj Yadav "Pukkhu"



प्रॉज ने कहा- "ये मेरा जीवित दिल है...ये इस बात का सबूत है कि मैं जिंदा हूँ..."

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सोनू उस वर्गाकार कॉच के प्रिज्म पकड़ रखी थी...! संभले हूए...उसने धड़के हूए दिल की ओर देखते हूँ प्रॉज से पूछा- "ये आपका दिल है??? जीवित है...तो फिर आप मरे नहीं हो?? कैसे, कुछ भी समझ नही पा रही हूँ।"

प्रॉज बोला- "मेरी मृत्यु नहीं हुई है, सोना... क्योंकि मैने अपने रिसर्च में शरीर और हृदय को अलग रखकर__ शरीर को जिन्दा रखने की कला इजात कर ली है... मै जो तेरे सामने हूँ ये आत्मा है...ये शरीर से त्याग हो गई है लेकिन हृदय के अलग होने के कारण मृत नहीं हो सकी, अगर हृदय धड़कना बंद करदे तो संभव है मैं मृत हो जाऊँगा।"

परम कॉच के प्रिज्म को ध्यान से देख रहा था, उसके मन में कई सवाल थे पर उसने कुछ कहा नहीं, आँखों की भृकुटी के तनाव और निर्लय से समझा जा सकता था की पर चकित तो था लेकिन उससे कहीं असमंजस था।

_" ये दिल का क्या करेंगे??" (सोनू बोली)

_ "सोना.... मेरे लैब के अंदर इस प्रिज्म को लेकर चलो"(प्रॉज)

सोनू ने परम को प्रिज्म लेकर चलने को कहा, दोनो लैब में पहूचे... प्रॉज हवा में तैरता हूँ अपने लैब में दाखिल हुआ। सोनू जैसे बोली - "अब तैरना भी सिख गए?" परम लैब के दीवारों को देखने लगा...

_ "पता है सोनू, परम को अब भी यकिन नहीं है की मै लैब में हूँ"(प्रॉज बोला)

सोनू ने परम कि ओर ध्यान से जैसे कोई अन्वेशक देख रही हो वैसे देखते हुए बोली- "परम तुम्हे मेरी बातों पर यकिन तो है ना"

_ "भाभी सच कहूँ तो मुझे अब भी यकिन नहीं है की भईया यहां है।"(परम)

_ "पर जो तेरे भईया बोले वही तो बताई मैं"

_" भाभी हो सकता है..आपको वो पहले से बताए होंगे"(परम)

_ "ये तेरे भईया का दिल? जो मेरे हाथ में है वो"

परम ने हां, में सिर हिलाया लेकिन मन ही मन सोचने लगा कहीं भाभी को सचमें तो सदमा नहीं लग गया है। कोई इंशान कैसे दोबारा जीवित हो सकता है। खैर भाभी के बातों में सिर्फ हां-हां कहता हूँ। 

_ "क्या हुआ परम कैसे चूप हो गए?"(सोनू बोली)

_ "भाभी घर चलते हैं क्या?? पापा जी बोले थे साथ में आना करके"

_ "तेरे भईया बोल रहे हैं, इस घर को छोड़कर मत जाना !"

प्रॉज नें  लैब के बीच में रखे टेबल को हटाने के कहा, सोनू ने परम की मद्द से वो टेबल हटाया। वहां फर्श पर ज्वाईंट पत्थर था उसे खोलने पर एक गुप्त मार्ग सीढ़ी से निचे जाते हुई  दिखाई दी। प्रॉज तो आर पार हो सकते थे तो सीेधे नीचे चले गए, और आवाज लगाई- "सोनू दोनो नीचे आओ"

_"भाभी हमारे घर में कोई सिक्रेट रूम भी है ये मुझे नहीं पता था"(परम)

_ "मै भी नहीं जानती थी देवर जी की यहां कोई नीचे रूम भी हैं, चलो नीचे बुला रहे हैं तुम्हारे भईया"

परम मन में विचार करने लगा हो सकता है भाभी सही कह रही हो, या फिर हो सकता है इनको पता हो पहले से की लैब के अंदर कोई सिक्रेट रूम हो।

_" देवर जी क्या सोचने लगे??"(सोनू)

_ " चलिये भाभी नीचे चलते हैं"(परम)

दोनो नीचे पहूचे, प्रॉज ने लाईट जलाने को कहा। अंधेरे को जैसे ही प्रकाश ने कब्जे में लिया... सिक्रेट लैब के अंदर बड़े-बड़े बेलनाकार कॉच के ट्यूब थे जिसमें प्रॉज के, परम के, सोनू के जैसे दिखने वाली बॉडी थे। ये सारे क्लोन्स शरीर हैं। डॉ. प्रॉज शुरू से ही क्लोंन और क्लोनिंग टेक्टिक्स के रिसर्चर हैं। हर तरफ बेलनाकर ट्यूबों में बहुत सारे शरीर जैलिकृत करके किसी विलियन में डूबे हूए थे। आंखे बंद और...सीधे...खड़े थे जैसे समंदर के अंदर की घांस काई लहराते रहते हैं वैसे इन क्लोंन्स के बाल विलियन में लहरा रहे थे। 

_ "ये सब क्या हैं प्रॉज...."(चकित मुद्रा में सोनू बोली)

परम बावलों की तरह अपने ही क्लोन को निहारे जा रहा था। फिर बोला- "भाभी ये मेरे जैसा दिखता है ना, बस इसके सफेद ड्रेश चेंज करके मेरे जैसे डीजाईनर कपड़े पहनाए तो बिलकुल मै ही लगुंगा राईट" ।

प्रॉज दोनो को देख रहा था, चेहरे पर मुस्कुराहट और दोनो के आश्चर्यजनक स्थिति को देख कर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

_ "क्या हसते हो?? जो पूछ रही हुँ वो बताओ ना।"

_ "याद है मैने कहा था मै Biological Human Anotomical NewDigram Utilizetion प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं।" (प्रॉज)

_ "हां कहे तो थे" (सोनू)

_ "उस दिन कहा था की हम ३००-साल साथ जीयेंगे"

_ "हां ये तो अच्छे से याद है डाक्टर साहब" (सोनू बोली)

वो ऐसे ही होगा, परम को कहो... वो बीकर नम्बर ५ को सामने लाये उसके लिये आगे कंट्रोल युनिट है वहां से सिर्फ ५ नम्बर प्रेस करने को कहो फिर वे बीकर ५ की बाडी आयताकार फ्रेंम कवर में आ जायेगी। 
     प्रॉज ने जैसे बताया वैसे निर्देश सोनू ने परम को दिये। फिर जैसे ही परम कंट्रोल युनिट में जाकर ५ नम्बर दबाया, फिर बीकर ५ मूव होने लगा आर जो सीधा बीकर था वो पलट गया। एक फ्रेंम नीचे मशीनी मोशन के साथ पहूची, वो बीकर की सटल खुली एक लिंक पाईप में लिपिट्स और विलियन के साथ बॉड़ी बहती हुई आयताकार फ्रेंम के अंदर पहूची। 

_" पता है सोनू, हमारे इस लैब में आर्टीफिशियल इंटेलिजेँश की पूरी हाई सपोर्टेबल युनिट्स लगे हूए हैं। जो एक प्रकार से मेरे नहीं होने पर भी आपरेशन कर सकते हैं। जैसे अभी करेंगे बस जो बताऊं वो करते जाना।"

इतनी आधुनिक लैब और अपने घर के नीचे क्लोन्स की फैक्टरी के बारे में सोचकर सोनू दंग थी, वह सिर्फ हाँ में सिर हिलायी।

_ "सोनू क्या हुआ" (प्रॉज)

_ "कुछ नहीं" (सोनू)

_" सोनू मेरे इस क्लोन को वो आपरेशनल रूम में लिये चलो वो समाने हैं।" (प्रॉज)

_ "सुनो ना जी, ये सारे क्लोंन्स जिन्दा हैं???"(सोनू ने भौचक्के भाव से प्रश्न किया)

_"नहीं सोनू!!"

_"क्यो नहीं जैसे वो बीकर 143 की क्लोन मेरी है राईट वो तो लग रही है जैसे मेरी ही ओर देख रही है।"(सोनू)

_ "ऐसा नहीं है बाबा, ये क्लोन विलीयन में जीवित तो रहेंगे लेकिन वैसे ही हैं, इनके शरीर में आत्मा की कमी है,हृदय की कमी है समझी।" (प्रॉज समझाते हूए सोनू से बोला)

इधर परम कंट्रोल युनिट से बाहर आया और अपनी भाभी से पूछा- " अब क्या करें भाभी?"

फ्रेंम की ओर ईशारा करते हुए सोनू बोली- "इसे सामने वाली आपरेशन रूम में ले जाना हैं।" 

उस फ्रेंम को स्ट्रेचर में रखकर आपरेशन्ल रूम में गए। सोनू प्रॉज की ओर देखने लगी अब क्या?? के सवालों के भाव से___/ प्रॉज मुस्कुराते हुए बोला.... "हनी.... कभी आपरेशन की है?"

_ "पागल कभी भी नहीं"

_"चल आज मेरे दिल को फिक्स करना है आपको मेरे इस क्लोनिंग बॉडी में"(प्रॉज)

_ "ना ना ना कभी नहीं मै नहीं कर सकती"(सोनू बोली)

परम लैब की दीवारों को देखने लगा सच में भईया हैं या फिर भाभी का संतुलन हिला हुआ है करके। क्योकि वह लगातार सिर्फ अपनी भाभी को ही बोलते हुए सून रहा था। सोचा की हो सकता है भईया हों भी या फिर नहीं भी।

प्रॉज ने कहा- "सोनू कुछ नहीं करना है हार्ट में मैने 6नैनो मेग्नेट्स लगा रखे हैं।बस हार्ट के ट्युब को उस क्लोन के ट्युब से जोडना हैं। ठीक है।"

फ्रेंम के चेस्ट वाले पोर्सन को खोला गया। सोनू को दिल के जगह में  हल्की सी चीरा (सिजर) लगाने को प्रॉज ने कहा, चिपचिपी गोंद सी विलीयन में हाथ डालते ही सोनू के चेहरे के रंग बदलने लगे, जुप्था और हाथ में जैसे लसलसेपन के कारण मन में अजीब हलचल हो रही थी उसके। जैसे ही सिजरिंग हुई वहां से ब्लडिंग होने लगी। कोलाईडी विलियन था इस कारण लहू ज्यादा तेजी से फैल नहीं रही थी। अब प्रॉज ने कांच के प्रिज्म को खोलने का इशारा किया। सोनू घबराई लेकिन प्रॉज को पून: जीवित करने के उद्देश्य में उसने प्रिज्म खोला और गाढ़े लिपिट्स और प्लाजमोडियम से सने लार से लिप्त हार्ट को बाहर निकाला। फिसलन के वजह से सोनू ने जोर से हार्ट को पकड़ रखी थी। 

_ सोन्नन्०००नू, आह.....अर्र्र्र्रररर्र आह की कराहना करते प्रॉज की आत्मा को देख वहा डर गई।

_ "बेबी क्या हुआ??" (सोनू)

_ "कुछ नहीं....बस वो हार्ट अंदर लगा दो। अह्ह्ह जल्दी करो ज्यादा वक्त नहीं है....!!!!(प्रॉज )


प्रॉज की प्रतिबिम्ब सोनू के आंखो से ओझल सी होने लगी थी। उसने सरसरी तरिके से प्रॉज के क्लोन के सीने में दिल अंदर डाली और सारे नैनो मेग्नेट्स को ट्युब से जोड़ दी। प्रॉज ने फ्रेंम बंद करके लाईफ सपोर्ट सिस्टम का तार फ्रेम में जोड़ने को कहा। वो जोड़ी वहीं पर हृदय की धड़कन अस्थिर दिखा रही थी। जैसे मानों कोई हार्ट बिंप रिडींग मशीन में लहर उठी हो वैसी कम ज्यादा रिडिंग आ रहे थे। प्रॉज की सोनू को दिखाई देने वाली परछाई भी धीरे-धीरे धुंधली होने लगी। 

_ "सोनू !!!! कंट्रोल युनिट के सारे पावर मेरे फ्रेंम में कनेक्ट करवा दो परम से" (रूक रूक कर प्रॉज बोला)

_सोनू ने परम को सारे पावर कंट्रोल रूम से क्लोन बाड़ी वाली फ्रेंम में जोड़ने को बोली। परम दौड़ा हुआ गया और हाई पावर कनेक्शन कम्प्यूटर की मद्द से ट्रांसफर कर दिये पर कितना कंट्रोल करना था ये तो उसको नहीं पता था। आपरेशनल रूम में फ्रेंम के  ऊपर सुपर करेंट्स या बिजली के वलय दौड़ने लगे। चड़चड़, चिड़चिड़ाते तारों में तेजी से विद्यूत दौड़ रही थी। इधर कंट्रोल युनिट रूम भी गर्म हो रही थी वहीं आपरेशनल रूम में बीजली को भवर धाराएं दृश्यमान हो चले थे। फिर देखते ही देखते एक जोर का विस्फोट हुआ। 
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और पूरा शुन्य हो गया। जैसे तबाही के बाद जैसे अनंत शांति हो उसी के भांति परम कंट्रोल युनिट और सोनू आपरेशनल युनिट के अंदर बेहोस हुई पड़ी थी। पूरा अंधेरा-अंधेरा....
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आधे घंटे बाद..

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_"प्रॉज.....प्रॉज.....सुनो ना....परम.....कहां हो...".(सोनू बोली)

_सोनू शायद उठी अंधेरे में कुछ दिखाई नही दे रहा था मोबाईल पैर से टकराई, सोनू मोबाईल को उठाई टार्च चालू करी सामने देखी प्रॉज का जो क्लोन वाली फ्रेंम पूरी तरह से काली दिखाई दे रही थी मानो जैसे पूरी जल चुकी हो...!!विक्षिप्तता के इस हालत में सोनू जोर से चिल्लाई...


_"प्रॉज.......
         प्रॉज.....
                प्रॉज....तुम कैसे छोड़ कर जा सकते हो। ऐसे कैसे कर सकते हो। जान हो मेरे मुझसे दूर कैसे जा सकते हो......."



Story Is Continieus.....

*अगला पार्ट जरूर पढें- हार्टलेश पार्ट 4 ( वर्चश्व और दुश्मनी)*

                              लेखक 
                   पुखराज यादव "पुक्खू"
                        9977330179
               pukkhu007@gmail.com