*भाग एक के बाद से आगे*
मकान के सिलिंग पर डॉ.प्रॉज उल्टा लटके थे, वो सहज़ता से ऐसे चल रहे थे जैसे सिलिंग नहीं समतल हो, नीचे खड़ी सोनू बहुत ज्यादा डर में थी, उसके मनोमस्तिष्क में एक ही बात दौड़ रही थी कि अगर ये कोई बहरूपिया नहीं है, आत्मा हैं। सोनू अब मौके का तलास करने लगी की कब इसका ध्यान हटे और घर से बाहर निकलूँ....! प्रॉज दीवार पर ही थे, सोनू ने पूछा - "कौन हो??"
प्रॉज- "जानती तो है कौन हूँ?? फिर भी सवाल कर रहीं है...."
_ "पर आप कैसे कर सकते हो, मुझे छोड़कर कैसे...."(बोलते-बोलते सोनू रूक गई और आँखों में नमी ने दस्तक दी, आंखों में जैसे कोई नदी उदगमित होने को आमादा ठहरी थी)
प्रॉज ने अपनी सोनू के तरफ देखते हुए कहाँ- "तूझे पता है ना,यार तेरी आँखों की एक बूंद मेरी जान ले लेती है। ऐसे ना कर, वरना बहूत जानती है.."
_"पर आप अब, ऐसे कैसे हो गए....मै क्या करूँगी??" (चेहरे की उदासी छुपाने के नाकाम कोशिश करते हुए सोनू बोली)
_" जान हम है ना" इतना कहकर प्रॉज सोनू के पास आया...सोनू के जुल्फों को छूने की कोशिश करने लगा, मगर किसी 3ड्री या लाईट शो की तरह से हाँथ जुल्फों से पार हो गया।
_ "पता है सोनू, अभी भी डर रही। मत डर मुझे कुछ नहीं हुआ है, दुनिया जो कहे पर उस पे भरोसा मत करना...,"(प्रॉज)
_ "क्या करते हो, ना आप भी साथ हो नहीं और कहते हो...डरो मत..." (सोनू कही)
_ "मै ठीक हूँ, यही तो बता रहा हूँ....!" (प्रॉज)
_"आप जिस फ्लाईट पर थे वो,क्रेश हो गई है ना.." (सोनू)
_ "हाँ...तो"
_ "तो जो आप मेरे सामने हो ये क्या है, दीवार पे चलते हो? डराते हो ये सब क्या है??"(सोनू बोली)
_" तूझसे वादा किया था ना, कभी साथ नहीं छोडूँगा। याद है जब अपन कालेज में मिले थे और जब बातें हुई थी पहली बार तब ही बोला था अगर मै आपका वर्तमान हूँ तो, भविष्य भी मेरा है।" (प्रॉज ने रोमेंटिक अंदाज से कहा)
_ "लेकिन अभी तो..." सोनू शंकित अंदाज में बोली लेकिन उससे पहले ही प्रॉज ने उसको होटो पर ऊँगली रखी और कहा-
_" जानेमन, मै तेरे लिये कुछ भी कर सकता हूँ। मेरी बात सून बस इस घर से कहीं जाना नहीं, कोई कुछ भी कहे"
_ "सूनो ना, जो चले जाते है वो...वापस नहीं आते हैं" (सोनू की इन शब्दों ने मन की सारी वेदना को बयान किया)
हसते हुए प्रॉज बोला- "पागल, तेरे सामने ही तो हूँ। और मै कहीं गया नहीं हूँ...बस वापस आने की राह बता रहा हूँ। सून कुछ काम हैं जो करने हैं।"
_ "क्या??काम"
_"बताता हूँ बताता हूँ, पर आज तेरी वो पता है वाली लाईन नहीं बोल रही हैं मेरी जाँ, मजा नहीं आ रहा है।"
_ "पता है" (सोनू बोली)
_ "ये बात यही तो बोल रहा था मेरी शर्मिली सोनू" (प्रॉज के आंखों में इश्किया सुरूर झलक रहा था)
_ "भूत बन गए हो फिर भी हॉट ही लग रहे हो...पागल" (सोनू के हल्की सी हसी चेहरे पर छाई)
तभी....
.
.
.
दरवाजे पर किसी की दस्तक हुई, प्रॉज ने कहाँ- " जाओ देखो कौन है और ये घर मत छोड़ना,मै वापस जिंदा हो जाऊंगा....बस यहां से जाना मत"
सोनू दरवाजे की ओर बढ़ी लेकिन पलट-पलटकर पीछे ही देख रही थी...। दरवाजा खुला, सामने सोनू की सास,ससूर और ननंद थी। सोनू ने सबके पैर छूए, अंदर आने को कहने जैसे अंदाज में आईये बोले हूँ। लेकिन प्रॉज के प्लेन क्रेश की खब़र सबके चेहरे पर सदमें की तरह साफ झलक रही थी, सोनू की सास और ननंद हृदय की वेदना संभाल ना पाये, और जोर-जोर से रोने लगे।
_"क्या हो गया बेटी...अंअ्अअ्....किसकी नज़र लग गई हमारे परिवार को.....बेटी.....।"
_ "भाभी भईया के साथ ऐसे कैसे हो गया...."
ऐसे ही रूदंतना का महौल और गमगिन हो चला, सभी के आँखों में आँशु की लहर थी। प्रॉज के पिता जी भी अपनी आंशू रोक ना पाये....वो भी बड़े बेटे को खोने का दर्द सहन ना कर पार रहे थे। सोनू उठी और कीचन में चली गई...!
ग्लास में पानी भरने लगी..तभी एक आवाज आई...
_"पागल, मै यहीं हू ना तेरे पास फिर काहे रो रही है।" (प्रॉज बोला)
_ "हे.. भगवान, अचानक से आ जाते हो और चले भी जाते हो। डरा कर रखे हो मुझे...." (सोनू बोली)
_ "भूत होने के अपने भी फायदे हैं बेबी..."( शरारती अंदाज में प्रॉज बोला)
_ "चलो ना सबके सामने मम्मी जी,पापा जी और पीहू (ननंद) सब रो रहे है।"
_ "चलो... ना....!!"(प्रॉज)
किचन के बाहर पीहू खड़ी थी वो अपनी भाभी को हवा में बाते करते देख हैरान हो गई, वो दौड़कर मम्मी जी के पास पहूची और बताई- "माँ, भाभी किंचन में अपने आप बात कर रही हैं, सदमा लगा है उनको...।"
सोनू की सास बोली- "सूनो जी चलो बहू को घर लेकर चलते हैं। वहीं सारे कार्यक्रम भी होने हैं।"
इधर सोनू और प्रॉज एक दूसरे से बाते कर रहे थे। प्रॉज के मम्मी-पापा और बहन को लग रहा था की सोनू को प्रॉज से बेहद प्यार करती है, इसलिये शायद वो हादसा सहन नहीं कर पायी है। ये सोचने लगे।
थोड़ी देर में सोनू पानी लेकर बाहर आई.... सबको पानी दी और बोली__ "मम्मी जी प्रॉज ठीक हैं..! उनसे बात हुई है आप सबसे मिलाऊँ उससे"
_ " बेटी तुम भी बहूत पढ़ी लिखी हो संभालों अपने आप को" (सोनू की सास बोली)
_ " प्रॉज...आईये ना बाहर.." (किचन की ओर देखते हुए बोली)
सामने किचन से निकल कर मुस्कुराता हुआ प्रॉज टेबव पर आ बैठा, लेकिन प्रॉज को केवल सोनू ही देख पा रही थी बांकि लोगों को कुछ दिखा ही नहीं....फिर प्रॉज के पिता यानी सोनू के ससुर जी बोले_ "बेटा जी, चलो घर चलते हैं, आपको आराम की जरूरत है।"
_ "पापा जी मै ठीक हूँ, सामने ही तो है प्रॉज..."
सभी सोनू से चलने का जीद करने लगे घर चलो वहां कार्यक्रम भी कराने पड़ेंगे करके, लेकिन सोनू नहीं मानी इसी बीच बातों-बात में बहस सी माहौल बन गई...और सोनू प्रॉज का नाम ले लेकर कहने लगी...आप इनको क्यों नहीं दिख रहे हो कुछ तो बोलो प्रॉज....!
_ " सोनू तू कुछ मत बोल, बस इस घर से मत जाना इनको बोल जाने के लिये और बोलना की परम के साथ आऊंगी करके"
थोड़ी बहस और नोकझोक के बाद वो तीनों घर से बाहर निकले, लेकिन बहू की हालत देखकर सब परेशान थे। प्रॉज के पिता जी ने बाहर जाने के समय परम को फोन किया-
(फोन पर)
_" हलो, हां परम"
_ "जी, पापा जी"
_ "तेरी भाभी की तबियत ठीक नहीं है, थोड़ी सदमें के कारण या किसी की नज़र लग गई है, लग रहा है बाबा बेनूशंकर महाराज को साथ लेकर आना प्रॉज के घर में थोड़ा दिखवा लेना घर को"
_"जी ठीक है पापा"
_ "और हां तेरी भाभी तेरे साथ ही घर आऊंगी बोल रही है। बेटा उसे साथ में ले आना, बिरादरी बैठक भी होगी शाम को प्रॉज के लिए अंतिम संस्कार के लिये।"
फोन कटा और तीनो (प्रॉज की फैमली) कार में बैठकर घर के लिये चल निकले।
सोनू घर का दरवाजा बंद करी, जैसे ही गेट बंद की गेट से लगे दीवार पे प्रॉज चिपका हुआ खड़ा था।
_ "सोनू पता है, मम्मी-पापा को लग रहा है आपका खिसक गया हैं।"
_ "पर आप उनको क्यों नहीं दिखाई दिये"
_ "पता नहीं, यार नया नया भूत बना हूँ...ज्यादा जानकारी नहीं हैं।"
_ "पागल, हर बात पे मजाक..करना जरूरी है।"
_ "मेरी बीवी ही K से कमाल की है, उसको हसाते रहना मेरी जिम्मेदारी हैं ना।"
_ "बस..बस...पागल..."
_ "हाय मेरी जाँ, तू जब भी पागल कहती है ना तो लगता है..मर ही जाऊंगा कसम से....वैसे अभी नहीं मरा हूँ"
_ "तो क्या हैं अभी आप?" (सोनू ने प्रश्नवाची तरिके से पूछा)
_ "अभी तो आपके सांसों की दिल में धड़कने वाली धड़कन की धून हूँ। आपके हर अदाओं का आशिकी हुँ, हर अदाओं का तवज्जोदार हूँ, तेरी आंखों का नूर हूँ...पागल तुम्हारा भूत वाला प्यार हूँ।"
दोनो हसने लगे, फिर प्रॉज ने कहा___ "अगर डरेगी नहीं तो इक बात कहूँ..."
_ "बोलो...ना"
_ "मेरा शरीर बस उस प्लेन क्रेश में जला है दिल नहीं"
_ "क्या??कुछ समझी नहीं"
_" याद है मैने कभी कहा था की हम सालो साल जीयेंगे"
_ "हां हमेशा कहते हो डॉक्टर साहब"
_ "मैने वो कर दिखाया है!!" (गर्व की भावना से प्रॉज बोला)
_ " कैसे??" (जिज्ञासा भरी नज़रों से सोनू पूछी)
तभी डोर बेल बजा.... प्रॉज ने सोनू से दरवाजा खोलने का इशारा दिया और बताया कि जल्दी से भगाओ... जो भी दरवाजे पर अभी हमें लम्बा काम करना हैं । सोनू दरवाजा खोली सामने परम और काले कपड़ो में लम्बी दाड़ी और जटाओं वाले कोई बाबा थे !
सोनू- "ये कौन है परम?"
परम- " बाबा बेनूशंकर महराज हैं भाभी"
सोनू- " हां तो यहां क्यों??"
परम - "पापा जी बोले तो ले आया"
तीनो अंदर आये...बाबा बेनू बोले- "अलख निरंजन, यहां आत्माओं की संचार हो रहा है, ये बालिका है इस पर किसी दुष्ट आत्मा को इसके नास के लिये छोड़ा गया है।"
सोनू बोली - "परम तुम्हे पता है ना तुम्हारे भईया को ये सब पसंद नहीं है! फिर ये बाबा क्यों??"
_ "बाबा, ये मेरी भाभी हैं माफ कर दीजिएगा.." (परम बोला)
_ " नादान बच्चा......बाबा, सब जानता है...बच्ची पर प्रेतप्रकोप है बच्चा....अलखनिरंजन बाबा सब ठीक करेगा" (बाबा बेनू महराज बोले)
सोनू वहां से उठकर अंदर चली गई। सामने प्रॉज फिर आ गए____ "क्या हुआ हनी??"
_ "हुआ कुछ नहीं तुम्हारा भाई बाबा को लेकर आया है।"(सोनू खीझते हूई बोली)
_ "सोनू सूनना चल बाबा को भगाते है"
_"कैसे जो जो मैं कहूँगा वो दोहराना वो सूनकर भाग जायेगा!!"
दोनो(प्रॉज और सोनू) रूम से बाहर आये सामने बाबा और परम थे_
जैसे-जैसे प्रॉज कहता वैसे वैसे सोनू कहती गई-
_ "बाबा, आपके बैग में ५तोले सोने का आभूषण हैं, पोटली में १ लाख रूपये हैं, स्मार्ट फोन का बाबा आपको क्या काम निश्चेतक की दवाई का क्या करेंगे, और खास बात वो मदिरा की शीशी १ लीटर वाली कपड़े से काहे लपेटे हो..."
ये सब सोनू ने जैसे दोहराया, बाबा के जैसे हवाईयां उड़ने लगी वो वहां ये उठा और निकला.... "बाबा बेनू का अपमान"....."बाबा बेनू का अपमान" बोलते हूए बाबा बेनूशंकर महराज भाग खड़े हुए।
प्रॉज ने हसते हूए कहा परम को बोलो सोनू उसके टैब का पासवर्ड मेरे नाम का है और छत पर उसकी छुपाई बियर की बॉटल मैने तोड़ी थी। इतने में वो जान जायेगा की मै यहां हूँ!!
सोनू बोली- "परम तुम अपने भईया को नाम का पासवर्ड रखते हो, और छत पर जो बियर की बॉटल छूपाये थे वो उन्होंने तोड़ी थी। ये तुम्हारे भईया बोल रहे हैं।"
परम - "भईया सच में यहां है। भाभी माफ करियेगा मैं गलत सोच बैठा था और बाबा को लेकर आ गया सॉरी। "
सोनू - "कोई बात नहीं देवर जी।"
प्रॉज ने कहा- " सोनू सुनो हमारे बैडरूम में तो तुम्हारी तस्वीर है बड़ी वाली वहाँ पर एक डी-फ्रीज अालमारी हैं वहां कॉच में कुछ है उसे बाहर निकालो।"
जो प्रॉज ने बताया उसे सोनू ने परम से कहा और दोनो फोटो हटा कर देखे तो दीवाल से बिलकुल सटी हूई आलमारी(फ्रीजिंग) थी, उसे खोला गया वर्गाकार एक कॉच का बॉक्स था। लसिका और लिपिट्स से भरे इस जार के बीच एक दिल था जो धड़क रहा था। उसकी आवाज धक-धक-धक हो रही थी।
प्रॉज ने कहा- "ये मेरा जीवित दिल है...ये इस बात का सबुत है कि मैं जिंदा हूँ....!!!
Story to be countinius.......
*हार्टलेश पार्ट 03( शांति की खोज)*
में शेष भाग जल्द ही प्रकाशित होंगा मित्रों...
आपका
पुखराज यादव (लेखक)
9977330179
pukkhu007@gmail.com