______///थोड़ी आशिकी///______
संभलकर ही तुम रखना कदम जानेंजाँ,
ये पत्थर है तेरा पागल फिसल जाएगा।
मुस्कुराहटें इतनी ना गुलजार कर और,
दीवाना दिल फिर कहां संभल पायेगा।
शरारतों की जैसे झड़ी,लगी रहती तेरी,
क्या पता फिर वक्त कब निकल जायेगा।
थोड़ी मेरी सुनों-थोड़ी अपनी कहों तो,
फिर ये दिन दो-चार युँ ही निकल जायेगा।
आ रही है हवा इश्क के नाम की बड़ी,
भरलों सासें फिर मौसम बदल जायोगा।
गर्म आहों में भी,पता तो है मेरे नाम की,
यों ना हो कहीं लबों से नाम उछल जायेगा।
पत्थरों से ना दिल लगाना प्रिये तुम कभी,
इक ना इक दिन पुखराज तो मिल जायेगा।
©पुखराज यादव "राज"
9977330179
संभलकर ही तुम रखना कदम जानेंजाँ,
ये पत्थर है तेरा पागल फिसल जाएगा।
मुस्कुराहटें इतनी ना गुलजार कर और,
दीवाना दिल फिर कहां संभल पायेगा।
शरारतों की जैसे झड़ी,लगी रहती तेरी,
क्या पता फिर वक्त कब निकल जायेगा।
थोड़ी मेरी सुनों-थोड़ी अपनी कहों तो,
फिर ये दिन दो-चार युँ ही निकल जायेगा।
आ रही है हवा इश्क के नाम की बड़ी,
भरलों सासें फिर मौसम बदल जायोगा।
गर्म आहों में भी,पता तो है मेरे नाम की,
यों ना हो कहीं लबों से नाम उछल जायेगा।
पत्थरों से ना दिल लगाना प्रिये तुम कभी,
इक ना इक दिन पुखराज तो मिल जायेगा।
©पुखराज यादव "राज"
9977330179