Wednesday, October 31, 2018

मिथक_____by Poet Pukhraj Yadav "Raj"

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इंतजार में,
क्या-क्या ना बना बैठे?
कभी बातों की बातें...
परोसते रहे खुद को तो,
कभी यादों से मुलाकातें।
कभी खूद को राही...
तुमको भुलभुलैयां जंगल..
तुममे कई बार खोते रहे..!
कई बार खूद को पाते रहै।
इंतजार में.........
कितनी बाते बनाते,
परोसते,बाटते,जाँचते रहे।
बस तेरे इँतजार में.....
    *©पुखराज यादव*