Wednesday, October 31, 2018

एक शेर अर्ज है(भाग03)

*बहर* - मुत़कारिब

(चार फ़ऊलुन)

कभी प्यार में जान देने चले थे।
वही आज नादान हूए फिरते हैं।

*✍🏻पुखराज यादव "राज"*