कैसे-कैसे कवित्व के कवि कवित्री, कंगुरिया को कैसे कदाचित करते कच। कभी करो कवित्त काव्य को कृतामृत, कच्चे-कच्चे विद्यार्थी हम भर दो ज्ञान रज। *पुखराज यादव* महासमुन्द