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Sunday, September 9, 2018

सोचता हूँ कि नक्सली बन जाऊँ ....??? - by P.Raj


                 (लघुकथा)

घनघोर जंगल में नक्सलियों की बैठक चल रही थी,लगभग १२-१५नक्सली होंगे। मै भी एक कतार में बैठा था, सभी अपने-अपने एरिया के उगाही से प्राप्त फंड का ब्यौरा दे रहे थे।

- *"कामरेट! लाल सलाम!!!* (तेज आवाज में सरदार बोले)
मै सकपकाया हुआ खड़ा हूआ। और बोला
- *"लाल सलाम कामरेट! ऐ हफ्ता मं ज्यादा रिकवरी नइ होए हेl*

ते आवाज के साथ सरदार बोला-
- *"अर्ररररे... मोला कुछ पता नइ हे हमला तो चाहिए फंड चाहे कइसनो निकालो तभे तो लाल क्रांति आही।"*

मै बोल उठा-
*"-लाल क्रांति सरदार???"*

सरदार बोले-
*"हव, कामरेट लाल क्रांति!!! अभी तो बंदुक अऊ बांकि सबो जिनिस के व्यवस्था हमर शहरी कामरेट मन करत हे। आने वाले समय मं बड़े हमला करना हे।"*

तभी किसी ने अचानक ही एेके 47 सेवन से दनादन गोलियां बरसाना चालू कर दिया। लगा जैसे कुछ गोलियों के छर्रे मेरे चहरे पर पड़ रहे हो....।
लगातार गोलियों की तड़तड़ाहट और बारूदी शोरगुल के बीच एक आवाज सुनाई दी- *"अजी...उठीये ना कितना सोते रहोगे?? सुबह के सात बजने वाले है चलो उठो।"*

मै उठा फिर चेहरे पर हाथ रखते हुए दे की पानी के छीटे पड़े है। चुपचाप बेड से उठा और कहा अर्रे वो तो ख्वाब था। मैने आवाज देते हुए कहा- *"वेणू सुनती हो आज कमाल का सपना था जी।"*

*"-बस,बस रहने दो आप और आपके सपने, चलो पुक्कू जी दफ्तर नहीं जाना है क्या आपको??"*

*"-हां...हां... जाना है मैम जी, पर..."*

*"-कोई पर ..वर नही चलो जाओ नहाने चलो आप चुप चाप।"*

मै दफ्तर के लिए तैयार होने चला गया फिर अनायास ही मन में ख्याल आया कि कम पढ़े लिखे और नादान परिंदों को कुछ अवसरवादी गलत राह पर ढ़केल देते है। और दुर्भाग्य यह है कि नक्शलवाद जैसे राष्ट्रविरोधी संगठनों में आज भी बच्चों को भर्ती कराये जा रहे है। उन्हे तो पता तो पता भी नहीं क्रांति क्या है?? किससे लड़ना है?? क्यो लड़ना है?? क्यों हथियार उसने उठाया है?? नक्सल संगठनों में जुड़ने से पहले क्यों युवा ये नहीं सोचतो कि *क्यो नक्सली बनूँ??*

       ✍🏻 *पुखराज यादव "पुक्कू"
                    9977330179
                   महासमुंद (छ.ग.)