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Sunday, September 9, 2018

नक्सली कौन???-by Poet Pukkhu

सोचों तो क्या इल्ज़ाम लगा जिनपे,
वो आपको पाक नजर क्या आते है।
जाने क्यों देशहित को पक्ष-विपक्ष,
और राजनीतिक मुद्दा ये बना जाते है।

लगी सारी मीडिया बटोरने सुर्खियाँ,
दल-दल में कैसे वे सेवक बट जाते है।
हाय ! दर्द में वो तड़प रहे होंगे यकिनन,
जो सपूत नक्सल से भीड़ वीरगति पाते है।

कैसा मंच सजा है लोकतंत्र का देखों,
अपराधी खुले खत धमकी के,दे जाते है।
और उससे ज्यादा चंद रोटी सेकू नेता,
इसमें भी तर्क-कुतर्क करते दिख जाते है।

शायद यही हाल है जो नक्सल-नक्सल,
अमरबेल से शनैः-शनैः वृक्ष को खातेे है।
अब तो छोड़ो अए नेताओं अपना हित,
देशहित, राजनीति से कही ऊपर आते हैं।

       *"पुखराज यादव "पुक्कू"*
                   महासमुन्द