Wednesday, May 31, 2023

छत्तीसगढ़ में लाइब्रेरियन भर्ती का वनवास कब तक? / Till when the exile of librarian recruitment in Chhattisgarh?




               (अभिव्यक्ति)


किसी भी रोजगारोन्मुखी व्यावसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने से पहले विद्यार्थी यह जरूर सोचते हैं कि उनके रुचि के अनुरूप रोजगार तो अवश्य ही मिलेगा। कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपने पसंदीदा कैरियर क्षेत्र का अवलोकन करते है कि क्या भावी समय में रोजगार के संसाधन उपलब्ध होंगे अन्यथा नहीं? खासकर भारत में रोजगार के स्थायित्व और निजी नौकरियों की बंधुआगारी से रहित सरकारी नौकरियों के पीछे युवाओं का आकर्षण लाजमी है।
            राज्य के गठन के साथ पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान की पढ़ाई कुछ ही कॉलेज एवं मध्यप्रदेश अधीन विवि से होती थी। वैकेंसी की अल्पता और सूचनात्मक प्रसार के अभाव में कुछ ही ग्रंथपाल बनने की व्यावसायिक शिक्षा ले पाते थे। बहरहाल, छत्तीसगढ़ सार्वजनिक  पुस्तकालय अधिनियम, 2008 ने बी.लीब और एम.लीब. के पाठ्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले युवाओं को प्रोत्साहित किया। क्योंकि इस अधिनियम मे जिला मुख्यालय सहित ग्राम पंचायतों तक पुस्तकालय के रोड मैप को प्रदर्शित किया। पुस्तकालय विज्ञान के छात्र-छात्राओं में उत्साह की दोहरी खुशी का मौका भी था। इसी दौर में स्कूल शिक्षा में उच्चतर माध्य. विद्यालयों में शिक्षकों का खासकर जिन्होंने पुस्तकालय विज्ञान में डिग्री अर्जित की है, उनका प्रमोशन कर दिया गया। रोजगार के संभावनाओं की तलाश ने युवाओं को पुस्तकालय विज्ञान की छत्रछाया में ला खड़ा किया। शासकीय सहित निजी विश्वविद्यालयों में भी तेजी से पुस्तकालय स्नातकों की लम्बी लाइने लगने लगी। जहां बड़ी संख्या में पुस्तकालय कार्मिकों के व्यवसायिक शिक्षा लेने वालों की होड़ मच गई। वहीं पं. सुन्दर लाल शर्मा विवि और डिस्टेंस मोड से भी बी.लिब. और एम.लिब. के पाठ्यक्रम ने विद्यार्थियों की संख्या में चार चांद लगा दिए। लेकिन भर्तियों का दौर जैसे थम सा गया। सरकारें बदली लेकिन युवा ग्रेजुएट मांग पत्रों के साथ-साथ भर्ती विषयक आक्रोश  मुहिम भी चलाते रहे लेकिन, नतीज़ा लगभग शून्य ग्राही निकला है।
          अमेरिकन लाइब्रेरी एसोशिएशन अपने परिभाषित रूप में कहता है, पुस्तकालय शब्द का उपयोग ईंट-और-मोर्टार सार्वजनिक पुस्तकालय से लेकर डिजिटल पुस्तकालय तक कई अलग-अलग पहलुओं में किया जाता है। सार्वजनिक पुस्तकालय - और वास्तव में, सभी पुस्तकालय - बदल रहे हैं और गतिशील स्थान हैं जहाँ पुस्तकालयाध्यक्ष लोगों को जानकारी का सबसे अच्छा स्रोत खोजने में मदद करते हैं चाहे वह एक पुस्तक, एक वेब साइट या डेटाबेस प्रविष्टि हो।
           यानी पुस्तकालय की वर्तमान में सूचना केन्द्र के रूप में प्रत्याभूत हो रहे हैं। भारत में लागु नवीन राष्ट्रीय शैक्षिक नीति 2020 (एनईपी) का उद्देश्य भारत में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालय प्रणालियों के संदर्भ में आवश्यक सेवा के रूप में पुस्तकालय पर ध्यान केंद्रित करना है। पुस्तकालयों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं अध्ययन, अनुसंधान, शिक्षा और कौशल विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लाभों का एक समूह प्रस्तुत करती हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) भारत में शिक्षा मंत्रालय द्वारा 29 जुलाई 2020 को प्रस्तुत की गई थी। नई नीति शिक्षा पर पिछली राष्ट्रीय नीति, 1986 की जगह लेती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एक भारत-केंद्रित शिक्षा प्रणाली की कल्पना करती है जो सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करके हमारे देश को एक समान और जीवंत ज्ञान समाज में स्थायी रूप से बदलने में सीधे योगदान देती है। जिसमें पुस्तकालय की योगदान अनिवार्य है। पुस्तकालय संसाधनों और उपयोगकर्ताओं में भारी बदलाव आया है। आज के पुस्तकालय दुनिया भर में बदलते समाज के छात्रों, शिक्षकों, वैज्ञानिकों, राजनेताओं और आम जनता जैसे सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए ज्ञान और सूचना को डिजिटल रूप में संग्रहीत करते हैं। भारत की नई शिक्षा नीति के अनुसार पुस्तकालयों की भूमिका कई गुना बढ़ गई है।
           लेकिन बिना लाइब्रेरियन के ऐसे पुस्तकालयों की क्या उपयोगिता रहेगी इसकी कल्पना आप स्वयं ही कर सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में छत्तीसगढ़ में कुल स्कूल शिक्षा विभाग में कुल रिक्त पदों की संख्या 23 से 24 सौ के बीच संभावित है। जहां एक ओर आरक्षण के विवाद और न्यायपालिका के पाले में गेंद रखकर भर्ती लगभग दो वर्षों की अवधि में बंद रहीं और उससे पहले कोविड-19 के कारण भी वेकेन्सी का अकाल रहा है। बहरहाल, माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, छत्तीसगढ़ में 58 फीसदी आरक्षण के साथ भर्ती और पदोन्नति को हरी झंडी मिल गई है। हालिया समय में पुस्तकालय विज्ञान से पास आउट हर जिले में हजारों की संख्या में युवा बेरोजगार हैं; क्या शासन की ओर से लाइब्रेरी साईंस के युवाओं के लिए भर्तियां आयोजित होती है। या फिर केवल रिक्त पदों का झुनझुना दिखाकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा।


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़