Wednesday, May 31, 2023

तेज रफ्तार रोज़ाना इख़्तियार कर रही है हादसों का शक्ल / High speed is taking the form of accidents everyday


                 (अभिव्यक्ति) 

हम सभी भीड़ से रोजाना दो-चार होते हैं। कभी दफ्तर में लेट पंच की हड़बड़ी या फिर ट्रेन पकड़ने की जल्दबाजी में ट्रेफिक नियमों को ताक पर रखने में कोई कमी नहीं छोड़ते है। बड़ी गाड़ियों से लेकर दोपहिया वाहनों के चालक तक ऐसे कट्स रोड पर मारते हैं मानों कोई सर्कस चल रहा हो। बारात, रैली और सम्मेलनों में लाने ले जाने वाली भीड़ तो माशाअल्लाह, लोग भी ऐसे ठूस-ठूस कर भरे जाते हैं कि बस बात ही मत करों। ऐसे लोगों की भीड़ केवल बसों या निजी वाहनों तक सीमित नहीं रहती बल्कि ट्रैक्टर ट्राली, पिकअप, मालवाहकों में भरे पड़े रहते हैं। अब भीड़ का मसला है और जश्न,जुलुस या फिर ख़ुलूस की बात हो भीड़ के साथ-साथ वाहन चालकों को भी रंगीन कर दिया जाता है। ऐसे में चढ़ते खुमारी के आगोश में हादसों को खुला निमंत्रण देने में कौन सतर्कता पर ध्यान देता है। सिर पर कफन बाँधकर निकलने वालों को किसी और की क्या परवाह हो सकती है भला?? संभवतः तेज रफ्तार के कारण रोजाना सैकड़ों लोगों की जाने सड़क हादसों में चली जाती है। बाइकर्स की तो बात ही मत करो, हेलमेट को साइड मिरर की कांच पर ऐसे लटकाते हैं जैसे घर के दीवार पर लटके नजरबट्टू हो। जहां ट्रैफिक हवलदार साहब दिखे सिर पर दुल्हे के पगड़ी जैसे टांग लिए जाते हैं। वर्ना हवा से बाते करती जुल्फों को क्यों ही छुपाएंगे।
            भारतीय सड़कों पर, हर तीन मिनट में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो जाती है और सामान्य संदिग्ध जैसे तेज गति से गाड़ी चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, गलत दिशा में गाड़ी चलाना, और सीट बेल्ट या हेलमेट न पहनना - खराब सड़क योजना और गड्ढों के साथ सामने आ रहे हैं। परिवहन मंत्रालय के पास नवीनतम उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है। यातायात दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या - कुल मिलाकर 4 लाख से अधिक और इसके परिणामस्वरूप डेढ़ लाख से अधिक मौतें यानीव पिछले वर्ष की तुलना में 16.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऐसे समय में चिंता का कारण बन गई है जब भारत सरकार जनादेश के साथ वाहन सुरक्षा मानकों को बढ़ा रही है। अनिवार्य एयरबैग, एंटी-ब्रेकिंग सिस्टम और संयुक्त ब्रेकिंग सिस्टम के साथ-साथ भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसी परिप्रेक्ष्य में, चीन जो 2,44,937 दुर्घटनाओं के साथ दूसरे स्थान पर है। जहां 2018 में 63 हजार मौतें हुईं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस), जिसके पास दुनिया का सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, ने 19लाख दुर्घटनाओं को देखा, हालांकि मौतों की संख्या जिनेवा में इंटरनेशनल रोड फेडरेशन के सबसे हालिया उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यह 36हजार पर बहुत कम रहा है।  
              चिंता की बात यह है कि पिछले पांच वर्षों में दुर्घटनाओं की कुल संख्या में मौतों का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। 2016, 2017, 2018, 2019, 2020 और 2021 के दौरान इसमें क्रमशः 28.3 प्रतिशत, 29 प्रतिशत, 29.5 प्रतिशत, 30.7 प्रतिशत और 34.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जैसा कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) के पास नवीनतम उपलब्ध डेटा है।
            वास्तव में, कुल दुर्घटनाओं के संबंध में मौतों का प्रतिशत 2020 के दौरान भी बढ़ा, जब देश भर में महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के कारण समग्र दुर्घटनाओं में भारी गिरावट देखी गई थी। दुर्भाग्य से, सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक प्रभावित आयु वर्ग 18-45 वर्ष है, जो कुल आकस्मिक मौतों का लगभग 67 प्रतिशत है। इसके अलावा, यह बदलती परिवहन प्रणाली और पर्यावरण परिदृश्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 को लागू कर रहा है। संशोधित कानून में यातायात उल्लंघनों के लिए जुर्माने में भारी वृद्धि, इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और किशोर ड्राइविंग के लिए जुर्माने में वृद्धि जैसे प्रावधानों का प्रावधान है। 
           हमें यह समझना होगा कि गति प्रबंधन का अर्थ केवल गति सीमा निर्धारित करना या प्रवर्तन पर निर्भर रहना नहीं है। जबकि यह महत्वपूर्ण है, बुनियादी ढाँचा गति को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। सड़क डिजाइन यहां महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे मनमाने ढंग से निर्धारित गति सीमा के साथ तेजी से डिजाइन करने के लिए जारी रखा गया है। भारत में परिवहन की एक सुगठित और समन्वित प्रणाली है जो उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के उचित वितरण और लोगों की आवाजाही को बढ़ावा देकर आर्थिक गतिविधियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाल फिलहाल में छत्तीसगढ़ में कुछ बड़े सड़क हादसों से हमें सीख लेना जरूरी है। और खुद के साथ-साथ दूसरों की जिन्दगी की कीमत पहचाना जरूरी है। 


लेखक
पुखराज प्राज 
छत्तीसगढ़