Wednesday, June 29, 2022

अगर ना होती गणिकाएँ तो....!!!!! /If there were no prostitutes then....!!!!!



                            (परिदृश्य)

दुनिया के प्राचीन व्यवसाय मे से एक वेश्यावृत्ति को भी माना जाता है। पूरातन समय से लेकर आधुनिकता के दौर पर किसी ना किसी रूप से मूल्य या खरीद की परिपाटी पर यौनसम्बन्ध की अवधारणा, वेश्यावृत्ति है। हाल ही में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेशानुसार बताया की, वेश्यावृत्ति भी एक प्रोफेशन है, ऐसे में अपनी मर्जी से पेशा अपनाने वाले सेक्स वर्कर्स को भी आम लोगों की तरह सम्मानीय जीवन जीने का हक है। इसलिए पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न करे। पूरे मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पुलिस को भी कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
           लेकिन बड़ा सवाल यह भी उठता है की सभ्य समाज में सेक्स की बात तो हल्के आवाज में दीवारों के बीच ही होते हैं। यदि कोई व्यक्ति विशेष इस संदर्भ में खूला विचार रखता है। तो उसे व्यभिचार का शिकार मानने से लोग गुरेज कहाँ करते हैं। ऐसे स्थिति में सेक्स वर्कर्स के संदर्भ में तो समाज की मानसिकता कही ना कहीं अति नकारात्मकता के चादर तले दबी बड़ी है। चाहे सेक्सुअल इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोगों के कदम उन गणिकाओं के चौखट तक लांघकर अमर्यादित व्यवाहर कौशल का परिचय अवश्य दे देंगे। लेकिन ये बंद कमरे के अंदर घटी इन घटनाओं का हिसाब कौन रखता है? हाँ, लेकिन गणिकाओं पर किचड़ उछालने में पहले पंक्ति में ऐसे ही लोगों के चेहरे कटिबद्ध रहते हैं। 
         जहाँ वर्तमान के परिदृश्यों की बात करें तो ऑस्ट्रिया,ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, बेल्जियम और ब्राजील के कुछ राष्ट्रों में वेश्यावृत्ति के व्यवसाय को वैध घोषित किया गया है।लेकिन भारत में, वेश्यावृत्ति न तो स्पष्ट रूप से अवैध है और न ही विनियमित है। इस पेशे से जुड़े तर्कों के अनुसार, वेश्यालय में काम करना या काम करना,दलाली करना और संगठित यौन कार्य को अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत अवैध बना दिया गया है। इस अधिनियम में वेश्यावृत्ति को 'यौन शोषण' कहा गया है। हालाँकि,  यह अधिनियम उन पुरुषों को मान्यता नहीं देता है जिन्होंने वेश्यावृत्ति का पेशा अपनाया हो। वहीं एक बड़ा प्रश्न यह भी है की वेश्यालयों का संचालन गलत है, लेकिन पेशा अपनाने वाली महिलाओं को अपराध के दायरे से बाहर रखा गया है।
            मंत्रालय के एक डिवीजन राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अनुसार, साल 2021तक देश में सेक्स वर्कर की संख्या 8 लाख68 हजार हैं। वहीं पीआईबी की ओर से जारी 2014 में महिला और बाल विकास मंत्रालय की प्रेस रिलीज में बताया गया कि 10 साल पहले 2004 में की गई एक गैर शासकीय संगठन के अध्ययनानुसार देश में 2.8 मिलियन यानी 28 लाख सेक्स वर्कर हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से देखें तो गणिका का अपमान और अपमान इस दुनिया का हिस्सा हैं। जहां पुरुष की मानसिकता एक महिला का उपयोग करने और अपमानित करने के लिए मूल्य भुगतान करने के समरूप है। एक महिला के आत्मसम्मान के साथ हर दिन गलत व्यवहार किया जाता है और उसका अपमान होता है। यदि गणिकाएँ न हो तो, संभव है कि सामाजिक स्तर पर जो अभी बलात्कार सही महिलाओं पर होने वाले अन्य अपराधों की वृद्धि तो निश्चय होगा।

लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़