(अभिव्यक्ति)
हमारी यह जिज्ञासा भी रही है की पूरे सौर-मंडल में और इसके बाद स्थापित कई आकाशगंगाओं में क्या जीवन वास्तव में है या नहीं है? हजारों वर्षों से मनुष्य सोचता रहा है कि ब्रह्मांड में कहीं और जीवन है या नहीं? पृथ्वी की हर सभ्यताओं के प्राचीन साहित्य एवं कथाओं में अलौकिक कहानियों की भरमार है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व यूनानी दार्शनिक एनाक्सिमैंडर ने सुझाव दिया कि अन्य संसार अनंत विस्तार के ब्रह्मांड में अंतहीन रूप से बना और विघटित हो रहे थे। इस बीच मानवों के जिज्ञासु प्रवृत्तियों के पंख मिलने लगे, एक सदी बाद, एक अन्य यूनानी दार्शनिक डेमोक्रिटस ने तर्क दिया कि परमाणुओं का कभी न खत्म होने वाला नृत्य अनिवार्य रूप से अनगिनत अन्य दुनिया और अन्य जीवन की ओर ले जाएगा,उसने परमाणु के ऊर्जा और उसी ऊर्जा से नव जीवन की स्थापना की ओर इंगित किया। इस्लामी धर्मशास्त्री फखर अल-दीन अल-रज़ी ने 12वी सदी में एक हज़ार अन्य दुनियाओं के बारे में अपना तर्क रखा।
खगोल विज्ञान के कई वैज्ञानिक हुए जिन्होंने केप्लर, हुक और दूरबीन का अविष्कार मनुष्य को तारों के पार झाकने के लिए लालायित करने लगा। फिर प्रणोदन के सिद्धांतों और राकेट के सफल परीक्षण के दौर ने मनुष्यों की दूसरे ग्रह में जीवन की तलाश की प्रत्याशा को और हवा दी। अकबर इलाहाबादी के एक शेर का उल्लेख अवश्य करना चाहुगा वे लिखते हैं, 'न हासिल हुआ सब्र-ओ-आराम दिल का। न निकला कभी तुम से कुछ काम दिल का।' खगोलशास्त्र के वैज्ञानिकों ने तय कर लिया की अब आसमान को चीर कर बाहर जाना है।
20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने अपोलो 11 मिशन के तहत पहली बार चांद की धरती पर कदम रखा। चांद पर कदम रखने के बाद आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था, 'ये मनुष्य के लिए छोटा कदम है, मगर मानवता के लिए एक विशाल छलांग है।' इस दल में क्रमशः बज एल्ड्रिन, पेटे कॉनराड, एलन बीन, एलन शेपर्ड, एडगर मिशेल, डेविड स्कॉट, जेम्स इरविन, जॉन यंग, चार्ल्स ड्यूक, यूजीन सेरनन,हैरिसन श्मिट सहित 12 वैज्ञानिकों के दल ने चांद पर कदम रखा। संभवतः यह कोशिश जीवन के संभावनाओं की तलाश में बड़ा प्रयास था। लेकिन इस मिशन की कामयाबी ने मनुष्यों के लिए अंतरिक्ष के द्वार खोल दिये।
लेकिन फिर एक बड़ा सवाल उठता है की ऐसे मिशनों की आवश्यकता क्या है की विरान जगहों में या दूरस्थ ग्रहों में जीवन की तलाश करने की? लेकिन जिज्ञासा का अंत ना हो, तब तो निश्चित है की प्रयास निरंतर होते रहेंगे। यह एक बड़ा प्रश्न है की क्या सिर्फ पृथ्वी पर जीवन है। शेष अन्य ग्रहों पर जीवन नहीं है। यदि हैं तो क्या प्रमाण है। इन्हीं प्रश्नों के तलाश में दिनरात एक करने वाले प्रत्येक खगोलविज्ञान में अनुसंधानरत् राष्ट्र के वैज्ञानिकों के अथक प्रयास का नतीजा है की हम चांद तक पहुंच पाए हैं। और मंगल मिशन जैसे क्रांतिकारिक परिवर्तन लाने में हम सक्षम हुए हैं। जीवन के तलाश के लगे वैज्ञानिकों की यह प्राथमिक सीढ़ी है। अभी तो नापने को पूरा आसमान बाकी है।
लेखक
पुखराज प्राज
छत्तीसगढ़